
नई दिल्ली।हिमाचल प्रदेश सरकार कृषि और बागवानी के क्षेत्र में कई सारे विकास योजनाओं पर काम कर रही है। मुख्यमंत्रीसुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़ते हुए प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। इसी कड़ी में आरंभ की गई ‘हिम उन्नति योजना’ आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाली परिवर्तनकारी पहल साबित हो रही है।
बागवानों को मिलेगी लाभ
कृषि विभाग ऊना के उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण के अनुसार हिम उन्नति योजना के अंतर्गत ऊना जिले में 10 कृषि क्लस्टर स्वीकृत किए गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर में 15–20 किसानों को जोड़ा गया है ताकि सभी किसान प्राकृतिक विधियों से खेती करने में सक्षम बनें। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी, उत्पादन लागत कम होगी और लाभ में वृद्धि होगी।
समूह में किसानों को दी जाएगी तकनीकी प्रशिक्षण
वर्ष 2023–24 में 100 किसान समूहों का गठन किया गया था, जबकि 2024–25 में 10 नए क्लस्टर बनाए गए हैं। किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, विपणन सहयोग और आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, ताकि कृषि-आधारित स्टार्टअप्स और स्वरोज़गार के अवसर बढ़ सकें। हिम उन्नति योजना राज्य सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसके तहत 150 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इस योजना को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जा रहा है ताकि इसका लाभ राज्य के प्रत्येक पात्र किसान तक पहुंच सके।योजना उद्देश्य कृषि में समेकित विकास, पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना तथा युवाओं के लिए कृषि-आधारित स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है। कृषि विभाग के अनुसार, योजना के तहत 40 बीघा या उससे अधिक भूमि वाले 1239 कृषि क्लस्टरों की पहचान की गई है।हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने प्राकृतिक अनाजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है।