मौसम में बदलाव के कारण गेंदे के पौधों में अल्टरनेरिया रोग का खतरा बढ़ने लगा है

    14-Oct-2025
Total Views |



नई दिल्ली। गेंदा भारतीय फूलों में अत्यंत लोकप्रिय है। गेंदे के फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसे लोग घरों के गमले या बगीचे में भी लगाना पसंद करते हैं। वहीं, ये धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा कई प्रोडक्ट बनाने और सजावट में भी इस्तेमाल होता है। खासकर त्योहारों और शादियों के मौसम में इसकी मांग तेजी से बढ़ जाती है, किसान इसकी खेती करके बंपर कमाई भी करते हैं। मौसम में हुए बदलाव से गेंदे की फसल में रोग का खतरा बढ़ने लगा ऐसे में आज आपको बताने वाले है अल्टरनेरिया रोग के बारे में।

अल्टरनेरिया रोग के लक्षण

गेंदा फूल की खेती करने वाले एक्सपर्ट के अनुसार अल्टरनेरिया रोग एक फफूंद जनीत रोग है, जो सबसे पहले पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देता है। धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़कर पूरी पत्तियों को मुरझा देते हैं और पौधे की ग्रोथ रुकने लगती है। यह रोग खासतौर पर नमी वाले मौसम में तेजी से फैलता है। खेतों में लगातार नमी बने रहने या जलभराव की स्थिति होने पर रोग की चपेट में पूरी फसल बर्बाद हो सकती है।

अल्टरनेरिया रोग से बचाव के उपाय

इस रोग से बचाव के लिए किसानों को मैंकोजेब दवा का छिड़काव करना चाहिए। 200 ग्राम मेन्कोजेब को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ खेत में छिड़काव किया जाए तो इस रोग से छुटकारा मिल सकता है।यह उपाय रोग को शुरुआती अवस्था में ही रोक सकता है और पत्तियों की हरियाली बनाए रखता है।

 इन बात का रखें ध्यान

इसके अलावा किसानों को नियमित रूप से फसल की देखरेख करती रहनी चाहिए। पत्तियों पर धब्बे या सूखने के लक्षण दिखते ही तुरंत उपाय करें। देर होने पर यह रोग दूसरे पौधों तक भी फैल जाता है और फिर इसे रोकना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखने से हवा का संचार ठीक रहता है, जिससे रोग फैलने की संभावना कम हो जाती है।