
नई दिल्ली। आज 16 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। बेहतर भोजन के लिए हम सभी का कर्तवय की हम सभी को एकजुट होकर यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि हम भोजन उगाने, बांटने और खाने के तरीके में कैसे सुधार ला सकते हैं। यह एक साझा ज़िम्मेदारी है, जिसे मिलकर ही निभाया जा सकता है। आज हमारी खेती और भोजन से जुड़े सिस्टम के सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं। दुनिया में आज भी 67 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे सोते हैं, जबकि दूसरी तरफ मोटापा और भोजन की बर्बादी भी तेजी से बढ़ रही है। यह दिखाता है कि हमारी व्यवस्था में कितना असंतुलन है, जहां एक तरफ बहुतायत है तो दूसरी तरफ भारी कमी। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकारों, वैज्ञानिकों, व्यापारियों और आम नागरिकों को साथ मिलकर काम करना होगा ताकि हम कम संसाधनों में ज्यादा और बेहतर भोजन पैदा कर सकें।
अपने आस-पास से खरीदे फल-सब्ज़ियां
हम अपनी भोजन व्यवस्था को कैसे सुधार सकते हैं? इसके बारे भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग, आईसीएआर, पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के विद्वानों का मानना है कि भोजन की व्यवस्था को बदलने में हर व्यक्ति की एक अहम भूमिका हमें अपने आस-पास के किसानों से स्थानीय और मौसमी फल-सब्ज़ियां खरीदनी चाहिए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है और हमें ताजा भोजन प्राप्त होता है। इसके साथ ही, अपने आहार में दालों, साबुत अनाज और विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करना जरूरी है।
धरती का रंक्षक किसान
किसान धरती के रंक्षक हैं जो स्थायी तरीकों को अपनाकर हमारा भविष्य सुरक्षित करते हैं। वे जैविक और कृषि-वानिकी जैसे प्राकृतिक तरीके अपनाकर जमीन की सेहत और जैव-विविधता की रक्षा करते हैं। एक ही तरह की फसल बार-बार उगाने की जगह, वे अलग-अलग और देसी किस्मों को चुनकर जमीन को उपजाऊ बनाए रखते हैं और अपनी खेती को भी फायदेमंद बनाते हैं।