फूलों की खेती से आत्मनिर्भर बनी यह महिला किसान

    18-Oct-2025
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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के भोपाल ज़िले के बरखेड़ा बोंदर गांव की रहने वाली श्रीमती लक्ष्मीबाई कुशवाहा आज क्षेत्र की उन गिने-चुने किसानों में से एक हैं। जिन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय एक नया मार्ग चुना और फूलों की खेती के माध्यम से न केवल लाखों रुपये की आमदनी हासिल की,बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश की है।

पारंपरिक खेती को छोड़ दिया

लक्ष्मीबाई बताती हैं कि उनका परिवार कई वर्षों से पारंपरिक फसलें जैसे धान, गेहूं और सोयाबीन की खेती करता आ रहा था। लेकिन हर साल लागत बढ़ती जा रही थी और मुनाफा घटता जा रहा था। कृषि में मेहनत बहुत थी, लेकिन आर्थिक स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा था। इसी दौरान उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा चलाई जा रही संरक्षित खेती योजनाकी जानकारी मिली। यह योजना किसानों को पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस के माध्यम से आधुनिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है। लक्ष्मीबाई ने इस योजना को अपने जीवन की दिशा बदलने का अवसर समझा और पूरी लगन के साथ इसमें भाग लिया।

संरक्षित खेती योजना से मिली नई दिशा

वर्ष 2021-22 में उन्होंने राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत संरक्षित खेती योजना के अंतर्गत 3000 वर्गफुट क्षेत्र में एक पॉलीहाउस का निर्माण करवाया। इस पॉलीहाउस की कुल लागत ₹25.32 लाख थी, जिसमें से उन्हें ₹12.66 लाख की अनुदान राशि सरकार से प्राप्त हुई।

फूलों की खेती से बंपर कमाई

पॉलीहाउस तैयार होने के बाद लक्ष्मीबाई ने गेंदा, गुलदाउदी, रजनीगंधा और जरबेरा जैसे फूलों की खेती शुरू की। ये फूल बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं और पूरे साल इनकी मांग बनी रहती है। संरक्षित खेती के कारण मौसम की मार से फसलें सुरक्षित रहती हैं और उत्पादन भी अधिक होता है। शुरुआत में कुछ चुनौतियाँ जरूर आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। समय के साथ उन्होंने न केवल समस्याओं से निपटना सीखा, बल्कि आज वह अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर रहीं हैं कि कैसे पॉलीहाउस में फूलों की खेती से आर्थिक रूप से मजबूत बना जा सकता है।