सर्दी के मौसम से आड़ू के पेड़ों बचाना है तो जानें बेहद जरूरी टिप्‍स

    18-Oct-2025
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नई दिल्ली। आडूहर किसी का सपना है और सर्दियों में इसका खास ध्‍यान रखना होगा। हालांकि, ठंड का मौसम फलों के पेड़ों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है और मौसम में बदलाव कई बार हानिकारक कीड़ों को भी आकर्षित करता है। अच्छी बात यह है कि इन मौसमी परेशानियों से अपने पेड़ की सुरक्षा के कई तरीके हैं। सर्दियों में अपने पीच के पेड़ की खास देखभाल करें ताकि जब गर्मी का मौसम आए तो आपका पेड़ एक बार फिर बेहतरीन स्थिति में होगा और जमकर फल दे सकेगा।

ये 3 उपाय करे आएंगे फल

भारत में आड़ू की खेती मुख्य रूप से ठंडे और पहाड़ी इलाकों में की जाती है। भारत में पीच की खेती के प्रमुख क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश हैं यानी वो सभी जगहें जहां पर काफी सर्दी पड़ती है और बर्फबारी होती है। ऐसे में आडू के पेड़ के हर हिस्‍से को इस मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है।

ऊपरी हिस्‍सा कवर करें

पेड़ का मुकुट यानी इसके ऊपरी हिस्से को भी कवर करने की जरूरत हो सकती है। शाखाओं को धीरे-धीरे रस्सी से एक साथ बांधें और उन्हें कई परतों वाले नॉन-वोवन कपड़े या विशेष रूप से बने कवर से लपेट दें। पेड़ों को एक्‍स्‍ट्रा प्रोटेक्‍शन की जरूरत होती है। कृषि विशेषज्ञ के अनुसार युवा शाखाओं को एक बंडल में बांधें और पेड़ को जमीन की ओर झुकाएं, फिर उसे एक खूंटी से बांध दें। यह काम पत्ते झड़ने के बाद करें लेकिन ठंड पड़ने से पहले, जब शाखाएं लचीली होंती हैं।

मल्च लगाएं

सर्दियों से पहले अपने पीच के पेड़ के तने के आसपास की मिट्टी को ढीला करें और उसकी जड़ों की सुरक्षा के लिए मल्च लगाएं। भारत में आडू की खेती मुख्‍यतौर पर पहाड़ों पर होती है और जहां पर बर्फ गिरती है। ऐसे में अगर आपके यहां सर्दियों में बारिश या बर्फ पिघलने की स्थिति आम है तो एक मजबूत छत वाले शेल्टर का निर्माण करें।

गहराई से पानी दें

ठंड पड़ने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके पीच के पेड़ में पर्याप्त नमी हो। इससे वसंत ऋतु में पेड़ को अच्छी शुरुआत मिलेगी। पानी की मात्रा पेड़ की उम्र, मिट्टी की बनावट और उसकी स्थिति पर निर्भर करती है। मिट्टी में धीरे-धीरे पानी दें ताकि वह सतह पर जमा न हो। गहरी सिंचाई करते समय सावधान रहें क्योंकि ज्‍यादा नमी जड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर मिट्टी पहले से ही गीली है तो यह कदम छोड़ दें. भारी चिकनी मिट्टी पर गहरी सिंचाई से बचें.