
नई दिल्ली। भले ही वन संरंक्षण की बात की जा रही है, लेकिन हर साल अब भी 1.09 करोड़ हेक्टेयर जंगल नष्ट हो रहे हैं। यह क्षेत्रफल मिस्र जैसे देश के बराबर है। रिपोर्ट बताती है कि पृथ्वी की एक-तिहाई भूमि यानी लगभग 4.14 अरब हेक्टेयर क्षेत्र अब भी वनाच्छादित है, जिन पर विश्व की जैव-विविधता, जलवायु संतुलन और करोड़ों लोगों की आजीविका निर्भर है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की नई ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्सेज असेसमेंट 2025 की रिपोर्ट में की गई है। रिपोर्ट में धरती की हरियाली को लेकर उम्मीद के साथ चेतावनी भी दी गई है।
वनों की कटाई में कमी
एफआरए-2025 के मुताबिक 1990 के दशक में हर साल औसतन 1.76 करोड़ हेक्टेयर वन कट रहे थे, जो अब घटकर 1.09 करोड़ हेक्टेयर रह गए हैं। हालांकि वन क्षेत्र के विस्तार की गति भी धीमी हो गई है। वर्ष 2000 से 2015 के दौरान 9.88 मिलियन हेक्टेयर वार्षिक विस्तार अब 6.78 मिलियन हेक्टेयर पर सिमट गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह दर्शाता है कि वनों की पुनर्स्थापना के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी वे पर्याप्त नहीं हैं।
आग से झुलसते 26 करोड़ हेक्टेयर वन
एफएओ रिपोर्ट में बताया गया है कि औसतन हर साल 261 मिलियन हेक्टेयर भूमि आग से प्रभावित होती है, जिनमें से आधे वन क्षेत्र हैं। साल 2020 में ही कीट, बीमारियां और चरम मौसम के कारण लगभग 41 मिलियन हेक्टेयर वनों को नुकसान पहुंचा। यह संकट विशेष रूप से समशीतोष्ण और उपध्रुवीय क्षेत्रों में अधिक देखा गया।
संरक्षित और प्रबंधित क्षेत्र बढ़े
विश्व के 20 प्रतिशत वन अब कानूनी रूप से संरक्षित क्षेत्रों में आते हैं। यह क्षेत्र 1990 से अब तक 251 मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है। इसके अलावा, लगभग 2.13 अरब हेक्टेयर वन अब दीर्घकालिक प्रबंधन योजनाओं के अंतर्गत हैं यानी वैश्विक वनों का 55 प्रतिशत हिस्सा। विश्व के 71 प्रतिशत वन अब भी सरकारी स्वामित्व में हैं, जबकि 24 प्रतिशत निजी हाथों में हैं। लगभग 1.2 अरब हेक्टेयर वन केवल उत्पादन के लिए प्रबंधित किए जाते हैं। लकड़ी, बांस, गोंद या अन्य जैविक संसाधनों के रूप में। वहीं, 482 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र जैव-विविधता संरक्षण, 386 मिलियन मृदा-जल संरक्षण और 221 मिलियन सामाजिक सेवाओं के लिए आरक्षित हैं। पिछले दशक में वनों की कटाई की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन हर साल अब भी 1.09 करोड़ हेक्टेयर जंगल नष्ट हो रहे हैं।