सेब की बागवानी करते है तो जाने क्या होता है कैंकर और वूली एफिड

    23-Oct-2025
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नई दिल्ली। सूखे जैसे हालात के कारण बगीचों में सेब के पेड़ कैंकर रोग की चपेट में आ जाते हैं। यह कैंसर की तरह सेब के पेड़ों को नष्ट करता है। इससे पेड़ों के तने सूखने लगते हैं। इसके अलावा वूली एफिड, रिंग वॉर्म, स्केल समेत कई तरह के कीटों का भी बगीचों में असर पड़ता है।

इन क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान

निचले व मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के बगीचों में सेब के पेड़ों को सबसे अधिक नुकसान इसी बीमारी से होता है। एक तो नमी की कमी है, ऊपर से चटख धूप और गर्मी बढ़ने से पेड़ों के तनों की चमड़ी काली पड़कर कैंकर रोग की चपेट में आ रही है। पेड़ों में ऊनी आवरण बनाकर वूली एफिड सेब के पेड़ों पर हमला बोल रहा है। कई पेड़ों को रिंग वॉर्म बींधने लगे हैं। शिमला जिला के अलावा सेब उगाने वाले कुल्लू और मंडी जिलों के क्षेत्रों में भी ऐसे ही हालात होते रहते हैं।

स्केल और वूली एफिड से पौधे मरे

बागवानों के अनुसार सेब के बगीचे कैंकर से खत्म हो रहे हैं। इससे सेब के पेड़ों की ग्रोथ रुक जाती है। स्केल से भी पौधे मर रहे हैं। स्केल की बीमारी तो फलों को भी नुकसान करती है। वूली एफिड भी सेब के बगीचों से हटने का नाम नहीं ले रहा है। यह भी पौधों को मार रहा है। बर्फबारी अच्छी होने पर ये कीट और रोग सर्दियों में नहीं पनपते है।