
नई दिल्ली। गुजरात के पंचमहल जिले के मोकल गांव में किसान जगदीशभाई जेराभाई चौहान के पास 3.5 एकड़ सिंचित जमीन थी जहां वे पारंपरिक रूप से मक्का, अरहर, चावल, मिर्च और कद्दू जैसी फसलें उगाते थे। वे खेती के अलावा अपने परिवार के लिए अधिक आय का जरिया तलाश रहे थे। गुजरात में आमों की भारी मांग को देखते हुए, उन्होंने विभिन्न प्रकार के आम के पेड़ लगाने का फैसला किया।
ट्रेनिंग और मार्गदर्शन
जगदीशभाई ने वेजलपुर स्थित केंद्रीय बागवानी प्रयोग केंद्र का दौरा किया, जहां उन्होंने आम के प्रसार तकनीकों का ट्रेनिंग लिया। विशेषज्ञों ने उन्हें नर्सरी विकास, कलमी पौधे तैयार करने की तकनीक और देशी आम की गुठलियों से मूलवृंत तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने पौध संरक्षण, कलम चयन, क्यारी तैयार करने और अपनी नर्सरी को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में भी जानकारी दी।
उत्पादन और आर्थिक सफलता
2021 से 2023 तक, उन्होंने 5,500 से 6,500 ग्राफ्टेड आम के पौधे तैयार किए और गुजरात के विभिन्न जिलों के किसानों को 100 रुपये प्रति पौधे की दर से 15,000 पौधे बेचे। इस प्रयास की वजह से तीन साल में 12,75,000 रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। उन्होंने रूटस्टॉक उत्पादन भी शुरू किया, जिससे उत्पादन लागत कम हुई और मुनाफा और बढ़ा।
सामाजिक प्रभाव और रोजगार सृजन
जगदीश भाई अपनी नर्सरी से न केवल अच्छी आय अर्जित करते हैं, बल्कि 3-5 मज़दूरों को मौसमी रोजगार भी प्रदान करते हैं। उनकी सफलता ने आस-पास के किसानों को भी फलों की नर्सरी लगाने के लिए प्रेरित किया है। इस प्रकार, उनकी पहल ने पूरे क्षेत्र के कृषक समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद की है।