पपीते के लिए खतरनाक हैं ये कीट और रोग, बचाव के लिए तुरंत करें उपाय

    24-Oct-2025
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नई दिल्ली। अक्टूबर के महीने में पपीते की बागवानी का क्रेज काफी बढ़ा हुआ है। आमतौर पर पपीते की खेती करना एक आसान काम लगता है क्योंकि पपीते का पेड़ जगह नहीं घेरता और छोटी सी जगह में भी तैयार हो जाता है। लेकिन इसकी बागवानी करना आसान नहीं है। देश में पपीते की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। किसान पपीते की खेती करके बेहतर कमाई भी कर रहे हैं। लेकिन परेशानी इस बात की है कि पकने से पहले कुछ खास प्रकार के कीट और रोग फलों सहित पूरे पौधे को बर्बाद कर देते हैं, जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है।

लाल मकड़ी कीट

पपीते के पौधों में मुख्य रूप से लाल मकड़ी, तना गलन, पर्ण कुंचन और फल सड़न जैसे कीट और रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है। दरअसल, लाल मकड़ी फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में से एक है। अगर ये फसल पर लग जाए तो फल खुरदुरे और काले हो जाते हैं। पत्तियों पर आक्रमण की वजह से पीली फफूंद पड़ जाती है।

तना गलन रोग

पपीते के लिए दूसरी समस्या तना गलन रोग है। इस रोग की वजह से पौधे के तने का ऊपरी छिलका पीला होकर गलने लगता है। यह गलन धीरे-धीरे पौधे की जड़ तक पहुंचती है जिसकी वजह से पौधा सूख जाता है। इस रोग को रोकने के लिए किसानों को पपीते के पेड़ के आस-पास ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे पानी का जमाव न हो। वहीं, जिन पौधों में ये रोग लग गया हो उन्हें खेत से निकालकर जला देना चाहिए।

लीफ कर्ल रोग

पपीते के पौधों को लिए एक और खतरनाक रोग होता है लीफ कर्ल, ये एक विषाणु जनित रोग है, जो सफेद मक्खियों से फैलता है। इस रोग के कारण पत्तियां सिकुड़ कर मुड़ जाती हैं। यह एक ऐसा रोग है जिससे 80 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो सकती है। इस रोग से बचाव के लिए सबसे पहले स्वस्थ पौधों का रोपण करना चाहिए।

कोलेटोट्र्रोईकम ग्लीयोस्पोराईड्स रोग

पपीते के पौधों में कई तरह के रोग हो जाते हैं। इसमें कोलेटोट्र्रोईकम ग्लीयोस्पोराईड्स प्रमुख हैं। इस रोग में फलों के ऊपर छोटे गोल गीले धब्बे बनते हैं। बाद में ये बढ़कर आपस में मिल जाते हैं, जिससे फलों का रंग भूरा या काला हो जाता है। यह रोग फल लगने से लेकर पकने तक लगता है। इसके कारण फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। इसके उपचार के लिए आपको कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में या मेन्कोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।