इंजीनियरिंग छोड़ बेंगलुरु का यह युवक क्यों करने लगा फूलों की खेती?

    25-Oct-2025
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नई दिल्ली। लोहित रेड्डी एक पारंपरिक किसान हैं। उनके पिता रागी तथा कुछ दलहली फसलें उगाते थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सबको उम्मीद थी कि वे आईटी सेक्टर में करियर बनाएंगे। उनके चचेरे भाई गोपाल एस रेड्डी ने रखी, जो साल 1995 से फूलों की खेती कर रहे थे। लोहित अक्सर उनके खेत में मदद करते और फूलों की नाजुक देखभाल से मंत्रमुग्ध हो जाते। वहीं से उनकी 'फ्लोरिकल्चर' की यात्रा शुरू हुई। आज लोहित फूलों की खेती से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

2013 से करते हैं फूलों की खेती

साल 2013 में गोपाल यूके चले गए और गुलाब की खेती छोड़ दी। ऐसे में लोहित ने फूलों की खेती में अवसर देखा। उन्होंने उस अधूरे फार्म को संभालने का फैसला किया और फूलों की व्यावसायिक खेती शुरू की। साल 2018 में उन्होंने 15 लाख रुपये का निवेश किया। इस रकम से उन्होंने पॉलीहाउस बनवाया और 12,000 जरबेरा  पौधे खरीदे। शुरुआती महीनों में वे हर महीने 1.5 लाख रुपये तक कमाने लगे।

गुलदाउदी की खेती से बेहतर मुनाफा

31 साल के लोहित रेड्डी बेंगलुरु के कोम्मासंद्रा के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि जरबेरा तीन साल तक लगातार फूल देता है। उन्हें एक स्थिर आय चाहिए थी और यह मेरे लिए सही शुरुआत थी। जरबेरा में सफलता के बाद लोहित ने गुलदाउदी की खेती शुरू की। यह ऐसा फूल है जो भारत में अभी भी सीमित किसानों द्वारा उगाया जाता है। उन्होंने फार्म के 4,000 वर्ग मीटर हिस्से में गुलदाउदी और 2,000 वर्ग मीटर में जरबेरा लगाया।

हर महीने कितनी कमाई

लोहित के फार्म ने 20 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है। वे हर दस दिन में नई पौध लगाते हैं ताकि उत्पादन निरंतर बना रहे। उनका फार्म हर हफ्ते 1500 गुच्छे गुलदाउदी का प्रोडक्शन करता है, जिससे हर महीने 7 लाख रुपये की स्थिर आय होती है। वहीं मजदूरी, सिंचाई और फार्म का रखरखाव समेत मासिक खर्च करीब 3 से 3.5 लाख रुपये है।