करें पाम की बागवानी, कम मेहनत में बंपर मुनाफा

    28-Oct-2025
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नई दिल्ली।भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है, अपनी आयात निर्भरता को कम करने के लिए पाम तेलकी खेती पर जोर दे रहा है। पाम तेल, जिसे ताड़ के पेड़ के फलों से निकाला जाता है, अपनी उच्च तेल उत्पादकता के कारण अन्य तिलहनी फसलों की तुलना में एक बेहतर और ज्यादा लाभदायक विकल्प साबित हो रहा है। भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का 57% आयात करता है, जिसमें पाम ऑयल का हिस्सा सबसे बड़ा है।

भारत में लगभग 52,113 हेक्टेयर क्षेत्र में पामतेल की बागवानी  

भारत में लगभग 52,113 हेक्टेयर क्षेत्र में पामतेल की खेती की है, जिसमें सबसे ज्यादा विस्तार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हुआ है। इस बढ़ोतरी के साथ, अगस्त 2021 में शुरू होने के बाद से राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- पामतेलयोजना के तहत पामतेल खेती का कुल रकबा 2,41,000 हेक्टेयर हो गया है। अब देश भर में इसका कवरेज 6,00,000 हेक्टेयर है।

पाम बीज उगाने की मंजूरी

भारत वर्तमान में अंकुरित पाम तेल के बीजों का आयात करता है और खेतों में रोपाई से पहले 18 महीने तक नर्सरी में उगाता है। सरकार ने इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इस साल बीज उद्यानों को मंजूरी दी है। एनएमईओ-ओपी के तहत 638.5 टन प्रति घंटे की क्षमता वाली 24 मिलों को मंजूरी दी गई है।

पाम की बागवानी के फायदे

उत्पादकता में बेजोड़ पाम तेल की फसल को तेल उत्पादन के लिए सबसे उत्पादक फसलों में से एक माना जाता है।

पाम ऑयल के इन फलों से, दूसरे तेल बीजों की तुलना में लगभग 5 से 7 गुना ज्यादा मात्रा में तेल मिलता है।

एक बार पेड़ परिपक्व होने के बाद, यह लगभग 25 से 30 वर्षों तक फल देता रहता है, जिससे किसानों को लंबे समय तक एक स्थिर आय का स्रोत मिलता है।