
नई दिल्ली। सहजन की खेती ऐसी है जिसके दो बाजार हैं। पहला मोरिंगा की फली और पत्ते इंसानी इस्तेमाल के लिए बाजार में बिकते हैं। दूसरा है पशुओं के चारे का बाजार। चारा बाजार के लिए एक और खास बात ये है कि पत्ती के साथ-साथ मोरिंगा का तना भी बिकता है। लेकिन दोनों ही बाजारों में मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है कि मोरिंगा की खेती करते वक्त खासतौर पर तीन बातों का खास ख्याल रखा जाए। अगर बुवाई और पहली-दूसरी कटाई का ख्याल रखा तो फिर बड़ा मुनाफा होना पक्का है।
मोरिंगा की खेती में बहुत जरूरी हैं ये तीन बातें
फोडर एक्सपर्ट और साइंटिस्ट का कहना है कि सबसे पहली बात तो ये कि मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है। जैसे अगर जून से मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो फायदेमंद रहता है। दूसरा इस बात का ख्याल रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए। तीसरी खास बात ये कि इसकी पहली कटाई 90 दिन यानि तीन महीने के बाद करनी है। तीन महीने के वक्त में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है। तो इस तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद बाकी की कटाई हर 60 दिन बाद करनी है।
खूब बिकते हैं मोरिंगा के तने से बने पैलेट्स
मोरिंगा के तने को बकरी खाती है। क्योंकि इसका तना बहुत ही मुलायम होता है। इसकी पत्तियों को भी बकरे और बकरी बड़े ही चाव से खाते हैं। अगर आप चाहें तो पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं। इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं। पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है। ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं।