
नई दिल्ली। रोजमेरी एक सुगंधित और औषधीय पौधा है। जिसकी मांग लागातार बढ़ रही है। यूरोप से आया यह पौधा अब भारतीय किसानों और घरों की पसंद बन रहा है। मसाले, दवाइयों और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियों से बनने वाला तेल महंगे दामों पर बिकता है, जिससे यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती बन गया है।
उपयुक्त मिट्टी की जरुरत
रोजमेरी उगाने के लिए हल्की और रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है। पौधे को 6 से 8 घंटे सीधी धूप चाहिए होती है। इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती हफ्ते में दो से तीन बार हल्का पानी पर्याप्त है। रोजमेरी को बीज से भी उगाया जा सकता है, लेकिन कटिंग से लगाए गए पौधे जल्दी और बेहतर विकसित होते हैं।
बालकनी में रोजमेरी उगाई जाती है
घर में बालकनी, टैरेस या गार्डन में छोटे गमलों में रोजमेरी आसानी से उगाई जा सकती है। गमले में छेद होना जरूरी है ताकि पानी जमा न हो। मिट्टी में बालू और खाद मिलाकर पौधा लगाया जाता है। इसे रसोई के पास उगाकर ताजी पत्तियों का इस्तेमाल चाय, सब्ज़ी और मसाले के रूप में किया जा सकता है।
इन कामों में होता है इस्तेमाल
रोजमेरी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह पाचन शक्ति को मजबूत करती है, तनाव और थकान कम करती है और बाल झड़ने की समस्या को रोकती है। इसके तेल का इस्तेमाल शैम्पू, साबुन और परफ्यूम में किया जाता है। एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने की वजह से यह दवाइयों में भी उपयोगी है।