कश्मीर में केसर के खेत, सिर्फ 15 फीसदी फूलों ने तोड़ी किसानों की उम्मीदें

    30-Oct-2025
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नई दिल्ली। कश्मीर की धरती अपनी खूबसूरती और खुशबूदार केसर के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में जब पंपोर और उसके आस-पास की जमीनें बैंगनी रंग में रंग जाती थीं, तब दूर-दूर से लोग इस नजारे को देखने आते थे। लेकिन इस बार तस्वीर कुछ और है केसर के खेत सूने पड़े हैं, फूलों की संख्या बेहद कम है और किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं।

पंपोर के खेतों में नहीं खिलाबैंगनी कालीन

कश्मीर के पंपोर क्षेत्र, जिसे सैफ्रॉन टाउनकहा जाता है, इस साल अपनी पहचान खोता नजर आ रहा है। हर साल जहां धरती केसर की खुशबू से महक उठती थी, इस बार वहां मुश्किल से 15 फीसदी फूल खिले हैं। किसानों के मुताबिक, मौसम में लगातार हो रहे बदलाव और पिछले साल की भीषण गर्मी ने केसर की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है।

किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

पंपोर के रहने वाले किसान गुलाम नबी ने बताया, “हमने इस बार खेतों की अच्छी तैयारी की थी, खाद डाली, सिंचाई भी की, लेकिन फूल बहुत कम आए। हमने सोचा था कि बारिश से मिट्टी को नमी मिलेगी और फसल बेहतर होगी, लेकिन गर्मी ने सब बिगाड़ दिया। कोनिबाल गांव की महिला किसान जाहिदा बानो ने बताया, “पिछले साल गर्मी ने कंदों को खराब कर दिया था, और इस बार फूल तो आए हैं लेकिन बहुत कमजोर हैं। सरकार को हमें वैज्ञानिक सलाह और आर्थिक मदद दोनों की जरूरत है, वरना यह परंपरा खत्म हो जाएगी।

जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई मुश्किलें

कश्मीर के पुराने किसानों का कहना है कि उन्होंने ऐसा मौसम पहले कभी नहीं देखा। चांधारा गांव के अब्दुल अहद बताते हैं, “हम पीढ़ियों से केसर उगा रहे हैं, लेकिन इस बार खेतों में कई जगह एक भी फूल नहीं खिला। ऐसा लगता है कि मिट्टी अपनी ताकत खो रही है. जलवायु परिवर्तन का असर अब सीधे हमारी जमीन पर दिखने लगा है।