
नई दिल्ली। कन्नौज इत्र नगरी के रूप में दुनियाभर में जाना जाता है। इस उद्योग से जुड़ी कच्ची सामग्री की भारी मांग रहती है। इत्र बनाने के लिए बेला का प्रयोग किया जाता है। बेला फूल की खुशबू इत्र और परफ्यूम बनाने में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। यही वजह है कि कन्नौज में बेला की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। अब किसान इसे कम लागत में अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बेला की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी और गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह पौधा कम पानी में भी आसानी से तैयार हो जाता है।
कम खर्च में ज्यादा कमाई
एक बीघे में लगभग 400 से 500 पौधे लगाते हैं तो दो से तीन साल के भीतर बड़े पैमाने पर फूल की पैदावार मिलनी शुरू हो जाती है। एक बार पौधा तैयार होने के बाद 8 से 10 साल तक लगातार फूल की तुड़ाई होती रहती है। बेला की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है,सिंचाई और खाद का सामान्य खर्च ही पर्याप्त होता है। स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध जैविक खाद का उपयोग कर किसान लागत और भी कम कर सकते हैं। फूलों की तुड़ाई सुबह और शाम दोनों समय की जाती है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। कन्नौज के इत्र कारोबारी के अनुसार बेला के फूल की मांग हर मौसम में बनी रहती है। फूल सीधे इत्र निर्माताओं को बेचे जा सकते हैं, साथ ही फूलों से गजरे और माला बनाकर स्थानीय बाजारों में भी अच्छा दाम मिलता है।