पंजाब की हवा में सुधार, पश्चिमी यूपी में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं

    07-Oct-2025
Total Views |



नई दिल्ली। उत्तर भारत में सर्दियों से पहले बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए पंजाब को वर्षों से जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।लेकिन इस बार एक नया ट्रेंड उभर कर सामने आया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, खासकर मथुरा और अलीगढ़, पराली जलाने के मामलों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आईसीएआर-आईएआरआई के अनुसार, 15 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में कुल 210 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं है।

 पंजाब में सिर्फ 95 घटनाएं, जो 2020 के मुकाबले 87% की गिरावट है।

उत्तर प्रदेश में 88 घटनाएं, जो 2024 के मुकाबले चार गुना अधिक हैं, 2024 में सिर्फ 23 घटनाएं हुई।

हरियाणा में सिर्फ 7 मामले, जबकि पिछले साल 127 थे।

बुलेटिन में मथुरा और अलीगढ़ को यूपी के टॉप बर्निंग जिले बताया गया है। 5 अक्टूबर को अकेले यूपी में 32 घटनाएं दर्ज हुईं। यह पिछले 6 वर्षों की दूसरी सबसे बड़ी दैनिक संख्या है।

पराली जलाने के घटते मामले

पंजाब में इसी अवधि के दौरान 2020 में 1,764, 2023 में 754 और 2024 में 193 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं। इस वर्ष यह गिरावट पांच वर्षों के औसत से 87 प्रतिशत कम है। अधिकारी इसका श्रेय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को देते हैं, जिसने जून में पंजाब और हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में ईंट भट्टों में धान की पराली से बने बायोमास पेलेट के उपयोग को अनिवार्य करने का निर्देश जारी किया था।

हरियाणा में गिरावट

हरियाणा में भी भारी गिरावट देखी गई, इस सीजन में अब तक केवल सात मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल 127 और 2023 में 190 मामले सामने आए थे। इन दोनों राज्यों ने मिलकर इस क्षेत्र की कुल संख्या में कमी ला दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में आई तेजी ने इस सफलता की भरपाई कर दी है।

पंजाब में साफ-सुथरी शुरुआत क्यों?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के सख्त निर्देशों और कार्रवाई का परिणाम है। जून 2025 में CAQM ने ईंट भट्टों में पराली से बने बायोमास पैलेट्स का अनिवार्य उपयोग तय किया।