
नई दिल्ली। दक्षिण कश्मीर के मैदानी हिस्से के कई गांवों में सेब उत्पादक बागवान इस बार सबसे खराब उपज की बात कह रहे हैं। जून में हुई भयंकर ओलावृष्टि और उसके बाद सितंबर में आई बाढ़ ने लगभग पूरी उपज तबाह कर दी है और फसल बीमा न होने के कारण यह सारा नुकसान उन्हें अकेले ही उठाना पड़ रहा है। ओलावृष्टी ने शोपियां जिले के सेब उत्पादक गांवों हांदेव, द्रवानी, वादीपोरा और डाचू में बागानों पर कहर बरपाया। इन इलाकों को बेहतरीन सेबों के लिए जाना जाता है, लेकिन ओलावृष्टि ने लगभग हर फल को नुकसान पहुंचाकर पूरे सीजन पर पानी फेर दिया।
बागवानों को आर्थिक नुकसान
कश्मीर घाटी की अर्थव्यवस्था काफी हद तक सेब और दूसरे फलों की बागवानी पर निर्भर करती है। इस भारी नुकसान ने कई परिवारों पर आर्थिक संकट के बादल हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में किसानों पर 11,700 करोड़ रुपये से अधिक का कृषि ऋण बकाया है, जबकि सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या 11.13 लाख को पार कर गई है। सितंबर में लगातार बारिश और बाढ़ ने सेब और धान दोनों फसलों को नुकसान पहुंचाकर मुश्किलें और बढ़ा दीं।
मुआवजा ठीक से नहीं मिला
बागवानों का कहना है कि सरकार से जब भी मुआवजा मिलता है, वह उनके नुकसान के एक छोटे से हिस्से को भी पूरा नहीं कर पाता। रियाज अहमद कहते हैं कि हमारे पास कोई बीमा नहीं है, कोई सुरक्षा नहीं है। एक तूफान हमारी साल भर की आजीविका खत्म कर सकता है। कुछ उत्पादकों ने बताया कि उन्हें मुआवजे के नाम पर केवल 2 हजार रुपये मिले हैं।