
नई दिल्ली। ठंड के मौसम आने से आंवले की बिक्री शुरू हो गई। लोग चटनी और अचार बनाने के लिए जमकर आंवले की खरीदारी कर रहे हैं। कई राज्यों में आंवले की बागवानी करने के लिए सरकार प्रोत्साहित भी कर रही है।क्योंकि यह एक ऐसी फसल है जिसकी खेती करने पर किसानों की अच्छी कमाई होती है। अगर आप भी आंवले की खेती करना चाहते हैं, तो प्रतापगढ़ में उगाई जाने वाले आंवले की खेती कर सकते हैं।
प्रतापगढ़ का आंवला है प्रसिद्ध
प्रतापगढ़ का आंवला, जिसे आमलकी या भारतीय करौदा भी कहा जाता है। एक छोटा देशी पेड़ है। इसके फल का इस्तेमाल हजारों सालों से आयुर्वेदिक दवाओं और पोषण के लिए किया जा रहा है। प्रतापगढ़ इलाके में आंवले की मुख्य रूप से तीन किस्में उगाई जाती हैं। आंवला विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत है और यह एसिडिटी, पाचन से जुड़ी परेशानियों और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह खून को साफ करने में भी फायदेमंद होता है। अपनी इन खासियतों की वजह से आंवले को 2023 में जीआई टैग मिला, जो इसकी गुणवत्ता और पहचान की आधिकारिक मान्यता है।
20 साल तक फल देता है यह किस्म
फैजाबाद के कुमारगंज स्थित कृषि विश्वविद्यालय ने आंवले की ऐसी अच्छी किस्में विकसित की हैं।जिनके पेड़ एक बार लगाने पर करीब 20 साल तक फल देते रहते हैं। लेकिन अब बदलते हालात के कारण कई किसान आंवले की जगह अनार, किन्नू और संतरे की खेती करने लगे हैं। कुछ किसानों ने तो आंवले के पेड़ काटकर फिर से धान और गेहूं की खेती शुरू कर दी है। हालांकि, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रतापगढ़ के आंवले को एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किया है। इसके बाद प्रतापगढ़ का आंवला अब देशभर में अलग-अलग रूपों में पहुंच रहा है।