
नई दिल्ली। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला ने जायका जड़ी-बूटी और वन विभाग के सहयोग से सरघा और बागा सराहन में ग्रामीणों को औषधीय पौधों की बागवानी करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान जड़ी-बूटी के तहत बनाए समूहों को औषधीय कडू की खेती और इसके विपणन के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. जोगिंदर सिंह चौहान ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सामान्य हित समूहों और किसानों को कडू सहित अन्य जड़ी-बूटियां उगाने के लिए प्रेरित करना है। प्रतिभागियों को औषधीय पौधों की व्यावहारिक बागवानी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सुशील कापटा ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षकों से मिली जानकारी का व्यावहारिक उपयोग करें और जड़ी-बूटी की बागवानी करें।
ग्रामीणों से जड़ी-बूटी की बागवानी करने का आह्वान
इस अवसर पर डीएफओ आनी डॉ. चमन राव ने ग्रामीणों से जड़ी-बूटी की बागवानी बेहतर तरीके से करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इच्छुक किसान चाहें तो वन भूमि में भी जड़ी-बूटियां लगा सकते हैं, जिसके लिए विभाग हरसंभव सहयोग करेगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप शर्मा ने समशीतोष्ण जलवायु में जड़ी-बूटी विशेष रूप से कडू की खेती की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने कडू के पौधे से अधिक पौधे तैयार करने की विधि बताई। इस अवसर पर वन परिक्षेत्र अधिकारी विनोद नेगी, एसएमएस निरमंड सचिन शर्मा सहित अन्य अधिकारी और ग्रामीण उपस्थित रहे।