
नई दिल्ली। अमरूद एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जिसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है। बारिश का मौसम अमरूद की खेतीके लिए सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन कई बार पौधों में कीटों का हमला होने से किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। अगर समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो यह पूरी फसल को प्रभावित कर सकता है।
सेमीलूपर इल्ली और बचाव
सेमीलूपर इल्ली अमरूदकी पत्तियों को खाकर पौधों को कमजोर कर देती है। इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है।
इलाज
5 ml नीम का तेल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
किसान चाहें तो बैक्टीरिया आधारित जैविक कीटनाशक का भी उपयोग कर सकते हैं। इससे पौधे स्वस्थ रहेंगे और उत्पादन में कमी नहीं आएगी।
स्केल कीट और बचाव
स्केल कीट अमरूदके पौधों की पत्तियों और शाखाओं का रस चूस लेते हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।
प्रभावित शाखाओं और पत्तियों को काटकर नष्ट करें।
इसके बाद 2 मिली डाइमेथोएट 30 EC को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
समय-समय पर पौधों की जांच करते रहें ताकि कीट दोबारा न लगें।
मिली बग और बचाव
मिली बग सफेद कॉटन जैसे दिखाई देते हैं और पौधों का रस चूसकर उन्हें सुखा देते हैं. इससे पत्तियां पीली होकर झड़ जाती हैं।
प्रभावित हिस्सों को काटकर अलग कर दें
4 लीटर पानी में 2-4 चम्मच नींबू का तेलमिलाकर छिड़कें।
आवश्यकता अनुसार जैविक या रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करें।
छिड़काव करते समय हमेशा निर्देशों का पालन करें।