
नई दिल्ली। केले की खेती किसानों के लिए बंपर फायदे का सौदा है। इस खेती में मेहनत जरूर है, लेकिन साथ में कमाई भी बहुत है। बस ध्यान ये रखना होता है कि केले की खेती वैज्ञानिक पद्धति से की जाए। केला सबसे खराब से लेकर सबसे उपजाऊ मिट्टी में अलग-अलग आसानी के साथ उग सकता है। केले की खेती से पहले मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिए। मिट्टी में पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था, उपजाऊपन और नमी होनी चाहिए। केले की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ दोमट और चिकनी मिट्टी जिसका pH 6-7.5 के बीच हो, सबसे अच्छी होती है।
पोषक तत्वों वाली मिट्टी का करें प्रयोग
खराब पानी निकलने वाली, हवा कम आने वाली और पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी केले के लिए सही नहीं होती है। ज्यादा पानी देने से बचना चाहिए, ज्यादा पानी देने से जड़ सड़ जाएगा और मर जाएगा। ज्यादातर केलों को फल देने के लिए कम से कम 20 महीने तक बिना फ्रीजिंग के रहने की जरूरत होती है।
बनाना बंची टॉप वायरस
पौधों की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। एक बार इन्फेक्शन होने पर, चाहे एक भी सकर हो, उससे जुड़े सभी पौधे मदर प्लांट और उसके सभी सकर सहित इन्फेक्शन से भर जाएंगे और सभी पौधे छोटे रह जाएंगे। यह वायरस केले के एक कीड़े से फैलता है जिसे बनाना एफिड कहते हैं। ये कीड़े धीरे-धीरे फैलते हैं और कॉलोनियों में रहते हैं और कुछ ही घंटों में बीमारी फैला सकते हैं।
इन बातों का रखे ध्यान
जैसे ही केले में अंकुर निकलने लगें, मुख्य फूल को काट देना सही रहता है। इससे केले ज्यादा हेल्दी और बड़े होंगे, क्योंकि जो न्यूट्रिएंट्स मुख्य फूल के लिए इस्तेमाल होते, वे अब असली फल को पोषण देने में इस्तेमाल होंगे। केले के पौधे का कोई भी हिस्सा काटने से पहले पुराने कपड़े पहन लें क्योंकि रस से काले धब्बे पड़ जाते हैं जिन्हें धोना बहुत मुश्किल होता है।