
नई दिल्ली। सर्दी का मौसम शुरू होते ही किसानों के सामने अपने फसलों और फलदार पेड़ों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन जाती है। ठंड और पाला कई बार पेड़ों की बढ़वार को रोक देता है, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है। कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक डॉ. रमेश चंद्र यादव ने किसानों को महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं ताकि ठंड के प्रभाव से पेड़ों को बचाया जा सके और अगले सीजन में बेहतर उत्पादन मिल सके। डॉ. यादव बताते हैं कि सर्दियों में तापमान अचानक गिरने पर पेड़ों की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। इससे फलदार पेड़ों जैसे आम, अमरूद, नींबू, कटहल, पपीता और सब्जियों में नुकसान की संभावना अधिक रहती है।
कैसे करें पेड़ों के तनों और जड़ों की सुरक्षा
उनके अनुसार पेड़ों के तनों पर गोबर, मिट्टी और नीले थोथे का लेप लगाना बहुत फायदेमंद होता है। इससे तना मजबूत रहता है और ठंडी हवाओं का सीधा असर नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी बताया कि पेड़ों के चारों ओर पुआल या घास बिछाने से जड़ों को गर्माहट मिलती रहती है और पेड़ों की नमी सुरक्षित रहती है। यह परंपरागत तरीका आज भी किसान अपनाते हैं और यह काफी असरदार साबित होता है।
सर्दियों में सिंचाई और धुआं वाला उपाय
ठंड के दिनों में तापमान नीचे चला जाता है। किसान शाम के समय हल्की सिंचाई करें। इससे मिट्टी का तापमान संतुलित रहता है और पाला नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि खेतों में धुआं करना एक पुराना लेकिन प्रभावी तरीका है। रात के समय खेत के किनारों पर सूखे पत्तों और कचरे को जलाकर धुआं करने से तापमान अचानक कम नहीं होता और फसलों व पेड़ों को सुरक्षा मिलती है।
पेड़ों की छंटाई और पौध लगाना
पेड़ों की छंटाई को ठंड से पहले पूरा करना चाहिए। अनावश्यक शाखाओं को हटाने से पेड़ मजबूत रहता है और ठंड का प्रभाव कम पड़ता है। उन्होंने नए पौधे लगाने से बचने की सलाह दी और कहा कि अत्यधिक ठंड के दिनों में पौध रोपण करने से पौधे कमजोर हो जाते हैं। इसलिए नए पौधे फरवरी के बाद ही लगाए जाए।