
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मेरठ का इलाका गन्ने की बंपर पैदावार के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ किसान लीक से हटकर फूलों की खेती को तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे ही मेरठ के पीपली खेड़ा गांव के रहने वाले किसान रतन सिंह ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़कर फूलों की खेती से समृद्धि हासिल कर रहे हैं। रतन सालाना 12 लाख रुपये आसानी से बचा लेते हैं। रतन सिंह से प्रभावित होकर अब कई किसान फूलों की खेती अपना रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
अनेक प्रकार के फूलों की खेती
मेरठ के पीपली खेड़ा गांव के रतन सिंह बताते हैं कि परिवार के हालात अच्छे नहीं थे। पिता मजदूरी करके परिवार पालते थे। कड़ी मेहनत मेहनत के बावजूद अक्सर दो जून की रोटी का संकट रहता था। बड़े होकर गन्ने की खेती शुरू की, लेकिन कोई खास मुनाफा नहीं होता था। इसके बाद फूलों की खेती की ओर रुख किया। पहले गुलाब की खेती से शुरूआत की, बेचने पर लागत के अनुरूप अच्छा लाभ मिला तो फिर रजनी गंधा ग्लेडियोलस, गुलदाउदी समेत कई वैरायटी के फूलों की खेती शुरू कर दी। ऐसे फूलों की हर समय डिमांड बाजार में रहती है। विदेशी नस्ल के इम्पोर्टेड फूलों की खेती भी अच्छा मुनाफा देती है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है यह किसान
बागवान रतन सिंह को देखकर आसपास के गांव के लोगों ने भी फूलों की खेती शुरू की है। कौल गांव के रहने वाले प्रवीण कुमार के अनुसार, गन्ने से कहीं ज्यादा मुनाफा हो रहा है। उन्होंने रतन सिंह के साथ जुड़कर 25 बीघा जमीन पर फूलों की खेती करनी कई वर्ष पहले शुरू की थी। आज अपने खेतों में लगभग 10 लोगों को काम दे रखा है।