
नई दिल्ली। बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले किसान उपेंद्र सिंह 67 वर्ष की उम्र में भी खेती के क्षेत्र में नए प्रयोगों के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इनकी ऊर्जा किसी नौजवान से कम नहीं है। वे फसलों को केमिकल उर्वरक और कीटनाशकों के गलत प्रभाव से बचाने के लिए नेचुरल खेती करते हैं। उन्होंने रसायनमुक्त खाद बनाया है, जिसे वे ‘अर्क अमृत’ कहते हैं। इसके अलावा ‘अमृत जल’ बनाकर फसल पर छिड़काव करते हैं। यह फसलों को कीट-व्याधि से बचाता है।
समय के साथ अपनाया खेती का नया तरीका
उपेंद्र सिंह भोजपुर जिला के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव के रहने वाले हैं। वे बताते हैं कि खेती तभी से करते आ रहे हैं, जब हल-बैल का जमाना था। बाद में मशीनीकरण हुआ तो नई कृषि-पद्धतियों को भी अपनाया। वे भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में रहते हैं। साथ ही बिहार के विभिन्न कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह लेते हैं।
बागवानी में करते हैं इस्तेमाल अर्क जल
बागवान उपेंद्र सिंह सिंह के अनुसार प्राकृतिक खेती आज की सबसे बड़ी जरूरत है। प्राकृतिक खेती में उत्पादन में गिरावट हुई तो उन्होंने खुद ही घर पर अर्क जल बनाये। वे डिस्कपोजर, चाय की पत्ती और कवच मिलाकर एक ही बार दो सौ लीटर तैयार करते है। 24 एकड़ में फलों की बागवानी करने वाले उपेंद्र सिंह पत्थर अर्क का इस्तेमाल खुद के बागवानी में करते हैं।
कैसे करें इसका प्रयोग
पत्थर अर्क का प्रयोग 4 दिनों के अंतराल पर किया जाता है। जिस दिन अमृत जल का छिड़काव करते हैं। प्राकृतिक विधि से उपजाई जाने वाली फसलों में अमृत-जल के प्रयोग से अच्छी उपज प्राप्त हुई है। वे अपने बागवानी में पपीता, अमरूद, फूल व आम के पेड़ों पर इसका उपयोग करते हैं।