
नई दिल्ली। किसानों के बीच आजकल एक नई चर्चा है की ऐसी खेती, जो कम मेहनत में लाखों की कमाई करा दे सके। ताइवान पिंक अमरूद की खेती ने वाकई यह साबित कर दिया है कि खेती भी किसी सरकारी नौकरी से कम नहीं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा फायदा देने वाला विकल्प हो सकती है। अंदर से गुलाबी रंग वाला यह अमरूद न केवल देखने में आकर्षक है बल्कि बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
कम जमीन में लाखों की आय का मौका
ताइवान पिंक अमरूद की सबसे खास बात यह है कि यह आम अमरूद की तुलना में बहुत जल्दी उत्पादन देता है। रोपाई के एक से दो साल के भीतर ही पौधे फल देना शुरू कर देते हैं, जिससे किसानों को जल्दी कमाई शुरू हो जाती है। दूसरे ही साल लगभग दो लाख रुपये प्रति एकड़ की आय संभव है। जैसे-जैसे पेड़ मजबूत और बड़े होते जाते हैं, तीसरे और चौथे साल में उत्पादन बढ़कर चार से पांच लाख रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच जाता है। कई किसान चार एकड़ में खेती कर सालाना 30 से 40 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा है।
एक एकड़ की लागत
इस खेती की लागत भी बहुत ज्यादा नहीं है। एक एकड़ में लगभग हजार पौधे लगाए जा सकते हैं और प्रति पौधा लगभग पचास रुपये के हिसाब से कुल लागत पचास से साठ हजार रुपये तक आती है। पौधे कम से कम डेढ़ फीट के होने चाहिए ताकि रोपाई के बाद अच्छी बढ़वार मिले। कुछ किसान 1200 पौधे भी लगाते हैं।
कम पानी में बेहतर उत्पादन
ताइवान पिंक अमरूद की खेती में ड्रिप सिंचाई बेहद कारगर मानी जाती है। इससे पौधों को बराबर नमी मिलती है, पानी और खाद सीधे जड़ों तक पहुंचते हैं और पानी की काफी बचत भी होती है। इस प्रणाली से किसान की मेहनत कम होती है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
खेती शुरू करने से पहले मिट्टी जांच जरूरी
किसी भी फलदार फसल की तरह ताइवान पिंक अमरूद की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच करवाना बहुत जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन-से पोषक तत्व मौजूद हैं और क्या कमी है। हॉर्टिकल्चर विभाग में की गई मिट्टी जांच से यह जानकारी मिल जाती है कि फसल के लिए मिट्टी उपयुक्त है या नहीं और किस तरह की खाद और सिंचाई की जरूरत होगी।