
नई दिल्ली। बिहार के पटना से लगभग 25 किलोमीटर नौबतपुर ब्लॉक अंतर्गत आने वाला रामपुर गांव फूलों की खेती के नाम से प्रसिद्ध है। यहां का माली समुदाय फूलों की खेती से सालाना लगभग 2 से ढाई लाख रुपये आमदनी कमा रहा है। इसी खेती से अपने परिवार का जीवन यापन करता है लेकिन बढ़ते तापमान का असर इस समय उनकी खेती में भी पड़ रहा है जिससे उनको नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यहां लगभग 30 परिवार हैं, वह फूलों की खेती कर अपना जीवन-यापन करते हैं। इतना ही नहीं यह अपने जीवन-यापन के साथ-साथ गांव के लोगों को भी रोजगार देते हैं। फूलों की खेती माली समाज का पुश्तैनी काम है। माली पारंपरिक रूप से बागवानी और फूल उगाने के लिए जाने जाते हैं। माली और फूलों के बीच एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ता होता है। वह है देखभाल और एकजुट होकर लगन के साथ काम करने का। माली पौधों को अपने बच्चे की तरह पालता है, पोषण और सुरक्षा देता है।
पूरा गांव फूलों की खेती के लिए जाना जाता है
फूलों की खेती करने वाले बागवान बताते हैं कि वह अपने उगाए हुए फूल पटना की मंडी में बेंचते हैं। उनका गांव छोटा भले है लेकिन फूलों की खेती के लिए ही जाना जाता है। यहां का फूल दूर-दूर तक जाता है और इसमें लोगों को रोजगार भी मिलता हैं। इस गांव में लगभग 30 परिवार ऐसे हैं, जो फूलों की खेती करने में कड़ी मेहनत करते हैं। पूरे 3 महीने जब तक फूल निकलने नहीं लगता रात तो दिन खेतों की देखभाल निराई गुड़ाई में लगे रहते हैं यहां तक की खाना पीना भी खेतों में ही करना पड़ता है।
इस फसल में है गर्मी का असर
धूप और गर्मी के कारण फूलों में रोग लग जाता है और फूल पनप नहीं पता पत्तियां फटने लगती हैं और पैदावार कम हो जाती है।अगर बीच-बीच बारिश हो जाती तो फूलों को राहत मिलती लेकिन अप्रैल और मई में बारिश नहीं धूप तेज होती है, जिससे हर साल इन दिनों उनके फूलों की खेती बर्बाद हो जाती है।