
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में सेब की सीजन खत्म होने के बाद घाटी के बागवानों ने फिर से बगीचों का रुख कर लिया है। बगीचों में सेब, नाशपाती, प्लम, जापानी फल और अनार आदि के पौधों में काट-छांट का कार्य शुरू हो गया है। साथ ही पेंट और चूना लगाने का कार्य भी किया जा रहा है। बगीचों में काट-छांट के लिए बागवानों ने प्रशिक्षित व्यक्तियों को लगाया है। बता दें कि दिसंबर में काट-छांट का समय उचित रहता है, लेकिन सेब और प्लम के पौधों में पत्ते समय से पहले गिरने के कारण एक सप्ताह पहले ही नवंबर के आखिरी सप्ताह से बागवानों ने काट-छांट शुरू कर दी थी।
सेब के पौधे में खाद डालने का काम शुरु
इन दिनों अब तक मौसम साफ है, बारिश और बर्फबारी नहीं होने से सेब के पौधों में काट-छांट करने में बागवानों को कोई परेशानी नहीं हो रही है।बागवान कुलदीप सिंह नेगी, दौलत राम, प्रकाश, ललित ठाकुर और रामनाथ ने कहा कि सेब बगीचों की पौधों की काट-छांट ने जोर पकड़ लिया है। काट-छांट के काम को समय रहते पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घाटी में अभी बारिश नहीं हुई है। ऐसे में किसान-बागवान अभी काट-छांट का कार्य कर रहे हैं। बारिश होने पर पौधों में गोबर और खाद डालने का काम शुरू किया जाएगा।बागवानों को पौधों की काट-छांट की जानकारी दी जा रही है।
सेब के पौधे की कटाई छटाई जरुरी
सेब के पेड़ की कटाई-छंटाई ज़रूरी है, क्योंकि यह पेड़ को स्वस्थ रखता है, बेहतर गुणवत्ता वाले और अधिक फल पैदा करने में मदद करता है, सूर्य की रोशनी और हवा के संचार को बढ़ाता है, मृत या रोगग्रस्त शाखाओं को हटाता है, और पेड़ को एक सुव्यवस्थित आकार देता है, जिससे फलों की कटाई आसान हो जाती है।