कम खर्च, भारी मुनाफा, अमरूद की खेती से बागवान हो रहे मालामाल

    16-Dec-2025
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नई दिल्ली।रामपुर के किसान सद्दीक ने अपने खेत में एल-49 और गोल्डन किस्म के लगभग 700 अमरूद के पेड़ लगाए हैं। उनका कहना है कि इन किस्मों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इनमें कीड़े लगने की संभावना बहुत कम होती है और इनका स्वाद इतना अच्छा है कि बाजार में इसकी खुद ही मांग बन जाती है। सद्दीक के अनुसार, अमरूद के पेड़ लगाने के लगभग दो साल बाद ही फल आने लगे थे। शुरुआती समय में पैदावार थोड़ी कम थी, लेकिन जैसे-जैसे पेड़ मजबूत हुए, फलों की संख्या भी बढ़ती चली गई। एक बार पेड़ तैयार हो जाए तो ये कई सालों तक लगातार पैदावार देता है। सही समय पर पानी, खाद और हल्की दवा देने से पेड़ अच्छी स्थिति में रहते हैं और फल भरपूर आते हैं। उनके बाग से हर साल किसानों और व्यापारियों को लाभ मिलता है।

सही देखभाल से बढ़ती पैदावार

किसान का अनुभव है कि अगर समय पर पानी, खाद और हल्की-फुल्की दवा दी जाए, तो पेड़ अच्छी हालत में रहते हैं और फल भरपूर आते हैं। सद्दीक के बाग में लगे अमरूद के पेड़ अब पूरी तरह उत्पादन में हैं। एक पेड़ से औसतन 4-5 क्विंटल तक अमरूद निकल आता है, जिससे बाग अच्छी आमदनी दे रहा है।

साल में दो बार फसल

सद्दीक बताते हैं कि साल में अमरूद की दो फसलें मिलती हैं। पहली फसल बरसात के मौसम में आती है और दूसरी सर्दियों में। उनके अनुसार सर्दियों में आने वाला अमरूद ज्यादा मीठा और टिकाऊ होता है, इसलिए इसकी बाजार में कीमत भी बेहतर मिलती है।

बाजार और मुनाफा

सद्दीक का अमरूद दिल्ली, हल्द्वानी, मुरादाबाद और बरेली तक सप्लाई किया जाता है। व्यापारी खुद उनके बाग से अमरूद उठाने आते हैं क्योंकि क्वालिटी और वजन दोनों पूरे मिलते हैं। बाग की देखभाल पर हर छह महीने में लगभग 10 हजार रुपये खर्च आते हैं, जिसमें खाद, पानी और दवाइयां शामिल हैं।

कम जोखिम, लंबे समय तक फायदा

सद्दीक कहते हैं कि अमरूद की खेती उन किसानों के लिए बेहतरीन है, जो कम जोखिम में लंबे समय तक आमदनी चाहते हैं। अगर सही किस्म चुनी जाए और खुद खेत पर ध्यान दिया जाए, तो अमरूद का बाग कई सालों तक घर खर्च और बचत दोनों संभाल सकता है।