
नई दिल्ली।झारखंड के पलामू जिले के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे कारण है कि स्ट्रॉबेरी अच्छी फसल देती है, बाजार में मांग ज्यादा है और यह खेती छोटे किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। घर पर भी स्ट्रॉबेरी उगाना मुश्किल नहीं है। यदि आप उपयुक्त मिट्टी का चुनाव करें, पौधों को पर्याप्त धूप दें और सही मात्रा में पानी प्रदान करें, तो आसानी से स्ट्रॉबेरी उगाई जा सकती है। स्ट्रॉबेरी में विटामिन-C, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी हैं।
सही स्थान चुनना बेहद महत्वपूर्ण
स्ट्रॉबेरी के पौधे के लिए सही स्थान चुनना बेहद महत्वपूर्ण है। पौधे को सुबह की हल्की धूप और अच्छी हवा की जरूरत होती है। ऐसा स्थान चुनें जहां दिन में 4–6 घंटे धूप मिल सके। बहुत तेज धूप या अधिक छाया में पौधा कमजोर हो सकता है।
पौधा या रनर से उगाना आसान
स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए नर्सरी से छोटे पौधे या स्टॉलन खरीदे जा सकते हैं। बीज से भी पौधा उगाया जा सकता है, लेकिन इसमें समय ज्यादा लगता है। शुरुआती लोगों के लिए पौधे या रनर से उगाना आसान और कारगर माना जाता है। पलामू में खासतौर पर विंटर डॉन प्रजाति के पौधे अच्छे रहते हैं।
गमला और मिट्टी की तैयारी
स्ट्रॉबेरी के लिए गमला कम से कम 8–10 इंच गहरा होना चाहिए। ग्रो बैग भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी हल्की, उपजाऊ और जल निकासी वाली होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 सबसे उपयुक्त होता है।
पौधों की रोपाई और दूरी
बालू, गोबर की खाद और उपजाऊ मिट्टी का मिश्रण तैयार करें। पौधे को 2–3 इंच गहराई में लगाएं और जड़ें अच्छी तरह ढकी हों। पौधों के बीच 20–30 सेंटीमीटर की दूरी रखें ताकि बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले।
फल आने और देखभाल
पौधों को लगाने के 60–90 दिन बाद स्ट्रॉबेरी में फल आने लगते हैं। फल पूरी तरह लाल और हल्का नर्म होने पर ही तोड़ें। घर में उगी स्ट्रॉबेरी स्वादिष्ट और सुरक्षित होती है। महीने में एक बार हल्की खाद दें और कीट लगने पर नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। सही देखभाल से पौधा लंबे समय तक स्वस्थ और उपजाऊ रहता है।