
नई दिल्ली।हिमाचल प्रदेश के चंबा में सेब के बगीचों में बागवान कटिंग-प्रूनिंग के कार्य में उतर गए हैं। साहो, कीड़ी, पद्धर, लग्गा, सराहण, भरमौर, होली, चुराह में अधिकांश जगह बागवानों ने समय रहते बगीचों का रुख कर दिया है। बागवान पेड़ों की कटिंग और प्रूनिंग करने के अलावा आवश्यकतानुसार बगीचे में स्प्रे तक कर रहे हैं। जिससे आगामी सीजन के दौरान उन्हें बेहतरीन फसल मिल सके।
बागवानों को हो रहा है नुकसान
मौसम की बेरुखी के कारण बागवानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। समय पर बारिश न होने से किसानों की खेतीबाड़ी समेत अब बागवानी पर भी पड़ा है जिसका सीधा असर फसल की उत्पादकता पर पड़ रहा है। जिला के बागवान सेब की घटती पैदावार को लेकर काफी चिंतित हैं। बागवानों के मुताबिक सेब की फसल के लिए निर्धारित चिलिंग ऑवर्स की आवश्यकता रहती है जो समय पर बारिश और बर्फबारी से पूरी होती है। बीते कुछ सालों से कई इलाकों में न तो बारिश हो रही है और न ही बर्फबारी हो रही है। जिस कारण पेड़ों की कटिंग-प्रूनिंग और समय पर स्प्रे करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। उत्कृष्ट बागवान धारो राम, कविंद्र कुमार ने बताया कि बीते साल भी सेब की पुरानी वैरायटी के पेड़ों में चिलिंग ऑवर्स समय पर पूरे न होने से फसल पर भी असर पड़ा है। उधर, जिला उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. प्रमोद शाह ने बताया कि सेब के पेड़ों के लिए अभी तक बारिश और बर्फबारी न होने का कोई असर नहीं पड़ेगा। आगामी समय में बर्फबारी और बारिश नहीं होती है तो इसके नुकसान हो सकता है।
क्या है बगीचे कटिंग-प्रूनिंग
सेब के बगीचे में कटिंग-प्रूनिंग (छंटाई) का मतलब है पेड़ को स्वस्थ रखने, बेहतर फल पाने और उसे सही आकार देने के लिए मृत, रोगग्रस्त, या गलत दिशा में बढ़ी शाखाओं को हटाना, जिससे धूप और हवा का संचार हो सके; यह काम मुख्य रूप से सर्दियों में (नवंबर से मार्च) सुप्त अवस्था में किया जाता है।जिसमें डेड, डिज़ीज़्ड डैमेज्ड, और डिसफंक्शनल शाखाओं को हटाना और शाखाओं को पतला करना शामिल है, ताकि फल देने वाली कलियों को ऊर्जा मिले और गुणवत्तापूर्ण सेब मिलें।