
नई दिल्ली।उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के उद्यान विभाग की ओर से बुधवार का एक दिवसीय माल्टा महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें जिले के किसानों एवं बागवानों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने महोत्सव का शुभारंभ किया।इस अवसर पर उन्होंने माल्टा प्रदर्शनी का अवलोकन किया। साथ ही कहा कि सरकार काश्तकारों और बागवानों की आर्थिकी को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने कहा कि प्रशिक्षण में विशेषज्ञों की ओर से दी जा रही जानकारियों को गंभीरता से समझ लिया जाए। माल्टा पहाड़ की अपनी पारंपरिक प्रजाति है। इसे आमतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षों से पारंपरिक तौर पर उगाया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में माल्टा उत्पादन बिखरे हुए स्वरूप में है जिससे अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
क्लस्टर आधारित मॉडल विकसित करने का निर्देश
इसे देखते हुए माल्टा उत्पादन को व्यवस्थित करने और उचित प्रबंधन अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सेब और कीवी की तर्ज पर माल्टा के लिए भी क्लस्टर आधारित मॉडल विकसित करने के निर्देश उद्यान विभाग को दिए। मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश सिंह ने कहा कि जनपद में माल्टा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन वर्तमान में किसानों के यहां माल्टा के पेड़ कम संख्या हैं और कहीं भी विशेष रूप से माल्टा के बाग विकसित नहीं किए गए हैं। इसे देखते हुए विभाग द्वारा माल्टा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर आधारित बागवानी को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस मौके पर ब्लॉक प्रमुख ममता पंवार, सहायक निदेशक उद्यान डॉ. ज्योति बजेली, टीएस पु्ंडीर, डॉ.कमल पांडे,सुधीर सक्सेना आदि मौजूद रहे।
उत्तराखंड में माल्टा की होती है बागवानी
उत्तराखंड में माल्टा की बागवानी पारंपरिक रूप से होती है, जो राज्य के पहाड़ी इलाकों, खासकर गढ़वाल और कुमाऊँ में 1000-2000 मीटर की ऊंचाई पर खूब फलती-फूलती है, जो विटामिन-सी से भरपूर है और स्थानीय आय का अच्छा स्रोत है, लेकिन अब सरकार और किसान मिलकर इसे व्यावसायिक बनाने और क्लस्टर आधारित बागवानी के माध्यम से बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं, ताकि मार्केटिंग और बेहतर दाम की समस्या दूर हो सके और यह फल सिर्फ घरों तक सीमित न रहकर, बड़े बाजार तक पहुँच सके।