सेब उत्पादन के लिए बागवानी में पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग आवश्यक

    02-Dec-2025
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नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के शिमला में सेब के बगीचों में पौधों की बेहतर वृद्धि और अधिक उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग अत्यंत आवश्यक है। उर्वरकों का अत्यधिक या असंतुलित प्रयोग मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और दीर्घकाल में बगीचों की उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है। यह जानकारी डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा के मृदा वैज्ञानिक डॉ. उपेंद्र शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि सेब तुड़ान के बाद का समय मिट्टी के नमूने लेने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पोषक तत्व प्रबंधन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम मिट्टी परीक्षण है। सेब के पेड़ों में पोषक तत्वों की हानि उनके पूरे जीवन चक्र के दौरान निरंतर होती रहती है और कुछ अवस्थाओं जैसे फूल आने की अवस्था, फल विकास, पत्तों का झड़ना और छंटाई के दौरान यह हानि और बढ़ जाती है।

पेड़ों की वृद्धि के लिए पोषण तत्व जरुरी

यदि इस कमी की पूर्ति समय पर और सही मात्रा में न की तो मिट्टी का पोषण स्तर गिरने लगता है जिससे पेड़ों की वृद्धि, फल गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। एक समग्र नमूना तैयार करने के लिए बागवान 10 से 15 पेड़ों से लगभग 30 सेमी गहराई तक तौलिये से मिट्टी लें, सभी उपनमूनों को मिलाकर चौथाईकरण विधि से लगभग 250 से 300 ग्राम प्रतिनिधि नमूना तैयार करें और उसे छाया में सुखाकर प्रयोगशाला में जमा करें। मिट्टी के नमूने किसी भी प्रकार का उर्वरक या जैविक खाद डालने से पहले अवश्य लिए जाएं। फारस्फोरस और पोटाश उर्वरक दिसंबर से जनवरी महीने में डाले जाते हैं, इसलिए बागवानों को इससे पहले मिट्टी की जांच करनी चाहिए।