सेब के बगीचे में जलाई जा रहीं टहनियां-पत्तियां, पर्यावरण का दम घोंट रहा धुआं

    02-Dec-2025
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नई दिल्ली।हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू में सेब के बगीचों में इन दिनों काट-छांट का कार्य चल रहा है। कई बागवान अपशिष्ट टहनियां और पत्तियों को बगीचों में ही जला रहे हैं, जिससे उठने वाला धुआं पर्यावरण का दम घोंट रहा है। बगीचों में अपशिष्ट न जलाने के प्रशासन के निर्देशों के बावजूद भी कई बागवान नहीं मान रहे हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। हर साल प्रशासन की सख्ती के बाद भी प्रदूषण नहीं रुक रहा है, जबकि उपमंडल प्रशासन से लेकर पंचायत स्तर तक इस पर कार्रवाई के निर्देश जारी होते रहे हैं।

 नवंबर से बागवान करते हैं कांटाई-छांटाई

नवंबर से बागवान सेब के पौधों की कांट-छांट के साथ घास और झाड़ियों की बगीचों में सफाई शुरू कर देते हैं। सूखे पत्ते और पौधों की काट-छांट की गईं टहनियों और पत्तियों को इकट्ठा कर बगीचों के किनारे जलाते हैं, जिससे वातावरण में प्रदूषण फैलता है। शिमला जिले के सेब बहुल क्षेत्र में पहले से उपमंडल स्तर से इसको रोकने के लिए पंचायत स्तर पर हर साल आदेश होते रहे हैं।

बागवानों को जागरूक किया गया

उद्यान विभाग इसको रोकने के लिए गांव स्तर पर शिविर लगा रहा है। बागवानों को जागरूक किया जा रहा है कि बगीचा प्रबंधन के बाद टहनियों और पत्तियों को गड्ढे में क्रश करके डाला जाए। इनके सड़ने के बाद खाद बन सकती है। इसके लिए सरकार शैंडर मशीन पर सरकार अनुदान भी दे रही है। वन विभाग ने भी पिछले साल एडवाइजरी जारी की थी कि यदि सरकारी भूमि के साथ लगते बगीचों में आग लगाई गई, तो बागवानों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और ठोस कार्रवाई की जाएगी।