
नई दिल्ली।राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) की ओर से आयोजित दो दिवसीय वार्षिक गुलदाउदी व कोलियस पुष्प प्रदर्शनी–2025 रविवार शाम खुशबू, सुकून और अनगिनत यादों को समेटे विदा हो गई। वनस्पति उद्यान का सेंट्रल लॉन इन दो दिनों में मानो फूलों की घाटी बन गया था। क्यारियों में सजी सतरंगी गुलदाउदी और रंगीन कोलियस के बीच चलते कदम, ठिठकती नजरें और कैमरों में कैद होती मुस्कानें—हर पल किसी उत्सव की तरह लगा। कड़ाके की सर्दी के बीच युवतियां फूलों के बीच सेल्फी लेती दिखीं तो बुजुर्गों ने ठंडी धूप में बैठकर प्रकृति के साथ बीते लम्हों को महसूस किया। बच्चों के लिए यह रंगों की दुनिया थी, वहीं बड़ों के लिए सुकून का ठहराव।
प्रकृति से जुड़ने की अपील की गई
मुख्य अतिथि राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि फूलों की खेती किसानों की आय बढ़ाने का सशक्त माध्यम बन सकती है। उन्होंने लोगों से अपने घरों की छतों पर रूफटॉप गार्डनिंग अपनाकर प्रकृति से जुड़ने की अपील की। एनबीआरआई के निदेशक डॉ. एके शासनी ने कहा कि यह पुष्प प्रदर्शनी पिछले छह दशकों से विज्ञान और समाज को जोड़ते हुए प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता का संदेश देती आ रही है। इस वर्ष के समग्र प्रदर्शन में सीमैप प्रथम और एचएएल द्वितीय स्थान पर रहा। सीएसआईआर नई दिल्ली के संयुक्त सचिव महेंद्र कुमार गुप्ता, संयोजक डॉ. केजे. सिंह भी मौजूद रहे
गुलदाउदी की स्वदेशी किस्म का विमोचन
इस मौके पर एनबीआरआई की ओर से विकसित गुलदाउदी फूलों की दो स्वदेशी किस्मों मधुक्रम और शुक्र का विमोचन किया गया। एनबीआरआई–मधुक्रम एनीमोन-प्रकार की किस्म है, जिसकी मधुकोश जैसी डिस्क और गुलाबी–बैंगनी फूल बेहद आकर्षक हैं। यह दिसंबर से जनवरी के बीच खिलती है। वहीं एनबीआरआई–शुक्र बड़े, सुंदर और संतुलित पुष्पों वाली किस्म है, जो सजावट के लिए खास है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये दोनों किस्में फूल उत्पादकों और बागवानी प्रेमियों के लिए नए और उपयोगी विकल्प साबित होंगी।