
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में डॉ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र बजौरा में बागवानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन हो गया है। शिविर में आनी और निरमंड ब्लॉक के 15 बागवानों को सेब की उच्च घनत्व प्रणाली सहित आधुनिक बागवानी तकनीकों की जानकारी दी गई। अंतिम दिन प्रतिभागियों को बजौरा केंद्र में तैयार विभिन्न फलों की उन्नत पौध नर्सरी का अवलोकन करवाया गया। उद्यान प्रसार अधिकारी तरुण ने बागवानों को बताया कि नर्सरी लगाने से पहले पौध तैयार करने की संपूर्ण प्रक्रिया की समझ होना जरूरी है। एक सफल नर्सरी वही है, जिसे वैज्ञानिक मानकों, सही किस्मों के चयन और पौधों की उपयुक्त देखभाल के साथ तैयार किया जाए।
नर्सरी और बागवानी तकनीक की जानकारी दी गई
इस अवसर पर बागवानों को सलाह दी कि नर्सरी लगाने से पहले मिट्टी, जलवायु, किस्मों, रोग प्रबंधन और पौध उत्पादन की तकनीक पर ठोस ज्ञान अवश्य लें। विभाग के सह निदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रत्येक किसान केवल उत्पादक ही नहीं, बल्कि अपने खेत का वैज्ञानिक भी होता है। इसलिए खेती-बाड़ी से संबंधित हर तकनीकी जानकारी, जैसे उर्वरक प्रबंधन, फसल गुणवत्ता वृद्धि, नई किस्मों का चयन और बाजार में उत्पाद की सही प्रस्तुति, किसान को अवश्य जाननी चाहिए। वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर किसान आर्थिकी को मजबूत बना सकते हैं।बागवानों को प्राकृतिक खेती में बगीचा प्रबंधन पोषक तत्वों का प्राकृतिक प्रबंधन, मिट्टी संरक्षण तकनीक, पौधों में होने वाली बीमारियों और उनके बचाव, परागण के महत्व और विभिन्न फलों एवं पौधों की किस्मों से अवगत कराया गया