
नई दिल्ली। आम के बाग में मंजर आने से पूर्व दिसम्बर माह में बाग का प्रबंधन कैसे करें? यह एक महत्त्व पूर्ण प्रश्नं है। क्योकि अभी किया हुआ बाग का प्रबंधन ही निर्धारित करेगा की पेड़ पर कितने फल लगेंगे तथा उनकी गुणवक्ता कैसी होगी।आम की खेती की लाभप मुख्य रूप से समय पर बाग में किये जाने वाले विभिन्न कृषि कार्यो पर निर्भर करती है। एक भी कृषि कार्य या गतिविधि में देरी से बागवान को भारी नुकसान का कारण बन सकता है और लाभहीन उद्यम हो कर रह जाएगा। इन सिफारिशों को अपनाने से निश्चित रूप से फल उत्पादकों को अपनी उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध रिटर्न में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। उत्तर भारत में आम की खेती के लिए दिसंबर का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय का उचित प्रबंधन आने वाली फसल में अधिकतम मंजर और उत्पादन सुनिश्चित करने में सहायक होता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा बिहार के पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी एवं पूर्व सह निदेशक अनुसंधान विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर (डॉ) एसके सिंह ने बागवानों को कई अहम सुझाव दिए है।इस प्रक्रिया में जलवायु, पोषण, सिंचाई, कटाई छंटाई और रोग कीट प्रबंधन जैसे विभिन्न कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है। नीचे विस्तृत प्रबंधन के उपाय दिए गए हैं।
सिंचाई प्रबंधन
दिसंबर में आम के पेड़ों को आराम की स्थिति में रखना आवश्यक होता है। इसके लिए,सिंचाई पूरी तरह बंद कर दें, क्योंकि इससे पेड़ों में पुष्पन के लिए आवश्यक तनाव उत्पन्न होता है। अत्यधिक सिंचाई वानस्पतिक वृद्धि (पत्तियों का अधिक बढ़ना) को बढ़ावा देती है,जो पुष्पन को प्रभावित करती है।यदि मिट्टी में नमी अत्यधिक कम हो तो पेड़ से दूर आवश्यक मात्रा में हल्की सिंचाई करें।
पोषण प्रबंधन
संतुलित पोषण पुष्पन में सहायक होता है, लेकिन दिसंबर के महीने में नाइट्रोजन नत्रजन का उपयोग कत्तई न करें , क्योंकि यह नई पत्तियों के विकास को बढ़ावा देता है और पुष्पन में बाधा उत्पन्न करता है।
कटाई छंटाई और सफाई
दिसंबर के महीने में पेड़ों की सूखी, रोगग्रस्त और अवांछित शाखाओं की कटाई छटाई करें ताकि ऊर्जा नई शाखाओं और पुष्पन में केंद्रित हो। छंटाई से बाग में प्रकाश और वायु संचार बेहतर होता है। बाग के चारों ओर खरपतवार हटाकर साफ-सफाई बनाए रखें।
हार्मोन प्रबंधन
फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए हार्मोन/ कृषि रसायन का उपयोग प्रभावी होता है जैसे, पोटेशियम नाइट्रेट (1%)का छिड़काव करें, जो पुष्पन को प्रेरित करता है। प्लानोफिक्स (NAA) @ 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह फूलों के आने में एवं फूल के आने के बाद फूल के झड़ने को रोकने में सहायक है।
मिट्टी प्रबंधन
पेड़ों के चारों ओर गीली घास (मल्च) डालें ताकि मिट्टी में नमी और तापमान बना रहे।जैविक खाद या वर्मी-कम्पोस्ट का प्रयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो।
रोग और कीट प्रबंधन
जहाँ कही भी डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है की जहाँ तक टहनी सुख गई है। उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें तथा 10-15 दिन के अंतराल पर एक छिड़काव पुनः करें। आम के पेड़ में गमोसिस भी एक बड़ी समस्या है इसके नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ उसकी उम्र के अनुसार 200-400 ग्राम कॉपर सल्फेट मुख्य तने पर लगाएं