
नई दिल्ली।अमरूद भारत का एक बेहद लोकप्रिय और लाभकारी फल है, लेकिन इसकी खेती या घर पर पौधा लगाने वालों को अक्सर यह शिकायत रहती है कि पौधा तो बढ़ रहा है, लेकिन फल कम लग रहे हैं। असल में, अमरूद का पौधा अपनी पूरी क्षमता तभी दिखाता है, जब उसे सही तरीके से आकार दिया जाए और समय-समय पर कटिंग, निपिंग और प्रूनिंग की जाए। ये तकनीकें पौधे को मजबूत बनाती हैं, नई शाखाओं को बढ़ावा देती हैं और फलों की संख्या व गुणवत्ता दोनों बढ़ाती हैं।
कटिंग से पौधा जल्दी फल देता है
अमरूद पौधा बीज से लगाना संभव है, लेकिन बीज से उगे पौधे को फल देने में कई साल लग सकते हैं और अक्सर फल की गुणवत्ता भी असमान होती है। इसके विपरीत, कटिंग से तैयार किए गए पौधे जल्दी फल देते हैं और उनमें मूल पौधे की ही विशेषताएं बनी रहती हैं। कटिंग के लिए स्वस्थ टहनी चुनकर उसे मिट्टी और रेत के मिश्रण में लगाना एक सरल और असरदार तरीका है। कुछ हफ्तों में यह जड़ पकड़ लेता है और नई कोंपलें निकलने लगती हैं, जो आगे चलकर जल्दी फल देती हैं।
निपिंग क्यों जरूरी है?
अमरूद के पौधे में अगर निपिंग न की जाए तो पौधा सिर्फ ऊपर की ओर बढ़ता रहेगा और फल कम आएंगे। निपिंग का मतलब है नई कोपलों को हल्के से तोड़ देना, जिससे पौधा साइड में शाखाएं निकालता है और झाड़ीदार बनता है। इससे धूप हर हिस्से तक पहुंचती है और हवा का सही प्रवाह बना रहता है।
कटाई कैसे करें?
कटाई करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि मुख्य मोटी शाखाओं को नुकसान न पहुंचे। केवल सूखी, बीमार, एक-दूसरे से रगड़ खाने वाली और अंदर की ओर बढ़ रही शाखाओं को हटाया जाता है। कटाई के बाद पौधे पर हल्का रोगनाशक स्प्रे करने से बीमारी की आशंका कम हो जाती है। साथ ही, ताजा गोबर खाद या ऑर्गेनिक खाद डालने से पौधे को नई ऊर्जा मिलती है।