
नई दिल्ली।जम्मू और कश्मीर सरकार प्रदेश में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रही है। प्रशासन किसान भागीदारी को बढ़ावा देने, अनुसंधान और विकास बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर योजना बना रहा है। साथ ही बाजार संबंधों में सुधार के लिए जम्मू-कश्मीर लघु वन उत्पाद नीति-2022 में उपयुक्त संशोधन करने की भी योजना तैयार की है। ये बातें मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने औषधीय और सुगंधित पौधों की व्यावसायिक खेती, संरक्षण और बड़े पैमाने पर प्रचार के लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप देने के लिए वन, कृषि उत्पादन विभाग और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू की एक संयुक्त बैठक में कही।
जम्मू-कश्मीर के लिए विशाल अवसर प्रदान करेगा
वन विभाग को रोपण सामग्री के प्रसार, किसान प्रशिक्षण और व्यवहार्य खेती मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया जबकि, कृषि उत्पादन विभाग से क्षेत्र की 1,100 किस्मों में से व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रजातियों की पहचान करने को कहा गया।सीएसआईआर-आईआईआईएम, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को तकनीकी विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जर्मप्लाज्म बैंक और उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने का काम सौंपा गया है।सीएसआईआर-आईआईआईएम के निदेशक जबीर अहमद ने फाइटोफार्मास्युटिकल और न्यूट्रास्युटिकल मूल्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैश्विक एमएपी बाजार के 2030 तक 650 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। जो जम्मू-कश्मीर के लिए विशाल अवसर प्रदान करता है।