
नई दिल्ली। संतरे की खेती दिखने में जितनी सरल लगती है, असल में उतनी ही मेहनत, धैर्य और निरंतर देखभाल मांगती है। किसान पूरे साल पेड़ों को पनपाने में जान लगा देते हैं, लेकिन अगर किसी रोग का समय पर पता नहीं चला, तो पूरी फसल मिट्टी में मिल सकती है। इन्हीं खतरनाक रोगों में एक है झुलसा रोग जो संतरे की पत्तियों, शाखाओं और फलों पर काले या भूरे दाग के रूप में दिखता है। यदि इस बीमारी को शुरुआत में नहीं रोका गया, तो पूरा बगान इससे प्रभावित हो सकता है।
झुलसा रोग क्या है और कैसे फैलता है?
झुलसा रोग संतरे के पेड़ों में आमतौर पर फंगल की वजह से होता है। इसके प्रमुख कारण तीन बीमारियां हैं-साइट्रस कैंकर, साइट्रस ग्रीनिंग (HLB) और अल्टरनेरिया. ये संक्रमण हवा, बारिश, कीड़ों, संक्रमित उपकरणों और पहले से बीमार पौधों की वजह से तेजी से फैलते हैं। अगर किसी एक पेड़ में रोग लग गया और किसान तुरंत ध्यान नहीं देते, तो यह बीमारी धीरे-धीरे पूरे बागान में फैल सकती है।
झुलसा रोग का असर
पत्तियों पर दाग और झड़ना- सबसे पहले पत्तियों पर छोटे-छोटे गोल, काले या भूरे दाग बनने लगते हैं। धीरे-धीरे पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं।
फलों पर उभरे घाव
साइट्रस कैंकर के कारण संतरे के फलों पर छाले जैसे उभरे हुए घाव बन जाते हैं।ऐसे फल दिखने में खराब लगते हैं और बाजार में बिक नहीं पाते।
हरे–पीले टेढ़े मेढ़े फल
साइट्रस ग्रीनिंग के कारण पेड़ की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और फल छोटे, टेढ़े-मेढ़े और स्वाद में कड़वे हो जाते हैं। इस रोग से पेड़ सालों तक सही फल नहीं दे पाता।
पकते फलों पर काले धब्बे
अल्टरनेरिया फंगस पकते हुए फलों के ऊपर काले-भूरे धब्बे बनाता है। ऐसे फल जल्दी सड़ जाते हैं और ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते।
कैसे करें बीमारी की पहचान
अगर आपके बाग में किसी पेड़ पर की पत्तियों के किनारों पर काले घाव, फलों पर गहरे गोल धब्बे, पत्तियों का अचानक झड़ना, फलों का समय से पहले गिरना, शाखाओं का सूखना जैसे लक्षण दिखें, तो समझिए झुलसा रोग ने दस्तक दे दी है और तुरंत कार्रवाई जरूरी है।