
नई दिल्ली।हिमाचल प्रदेश को एप्पल स्टेट के नाम से जाना जाता है। सेब हिमाचल प्रदेश की जीडीपी में पांच हजार करोड़ का योगदान देता है, लेकिन सेब के बगीचों का ध्यान रखना बहुत मेहनत का काम है। समय समय पर सेब के बगीचों का ध्यान रखना जरूरी है। दिसंबर-जनवरी माह में सेब के बागीचों में पौधों की देखभाल और सुधार के लिए बागवान कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
क्या कहते है बागवानी विशेषज्ञ
बागवानी के विशेषज्ञों के अनुसार जिन बागीचों में सेब के पौधे सुप्तावस्था में चले गए हैं, वहां कांट-छांट की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इससे पौधों में नए विकास के लिए जगह मिलती है और वो अच्छे से बढ़ते हैं। कांट-छांट के दौरान पुराने, कमजोर, या मर चुके तनों और शाखाओं को हटा देना चाहिए। इसके बाद, खाद डालने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। गोबर की खाद के साथ-साथ पोटाश और फास्फोरस की खाद को पौधों के तनों से 1-1.5 फुट की दूरी पर बिखेरें खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें, ताकि पौधों की जड़ों तक उचित पोषण पहुंचे।
पौधों को करें पोधालेप
प्राकृतिक खेती वाले बागीचों में इस समय घन जीवामृत डालना एक अच्छा विकल्प है, जो मृदा की उर्वरता को बढ़ाता है और मिट्टी की संरचना में सुधार करता है। इसके अलावा, सेब के पौधों में पोधालेप लगाने से पौधों की रक्षा होती है और यह उन्हें रोगों से बचाने में मदद करता है। पोधलेप से पौधों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और वो प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं। इस प्रकार, इन सभी कदमों को ध्यान में रखते हुए, सेब के बागीचों में पौधों का स्वास्थ्य सुधारने और आने वाले मौसम में अच्छे फलों की पैदावार के लिए तैयार किया जा सकता है।