
लीची (Litchi) का स्वाद हर किसी को पसंद होगा और लोग खूब खाते भी हैं, पर क्या आपने लीची की तरह दिखने वाले फल लौंगन (Longan Fruit) का स्वाद लिया है? लौंगन एक विदेशी फल है। इस फल के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) बढ़ाने में मदद मिलती है।
नर्सरी टुडे डेस्क
नई दिल्ली। आजकल लौंगन (Longan Fruit) की खेती का बिहार के मुजफ्फरपुर के बागवानों में क्रेज दिख रहा है। इस सीजन वे इसे लगाने को काफी उत्सुक दिख रहे हैं। यह लीची (Lychee) प्रजाति का ही फल है। लौंगन, लीची के सीजन के बाद तैयार होता है। बस यह लीची की तरह लाल नहीं होता।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अनुसार, लौंगन (Longan) थाईलैंड और वियतनाम का मशहूर फल है। इस फल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसकी खास बात ये है कि इसका सीजन 20 जुलाई से 15 अगस्त तक रहता है यानी इसकी आवक लीची के बाद होती है। इसलिए लीची वाले क्षेत्रों में बागवान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। फिलहाल इसकी बागवानी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में हुई है, वहीं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा इसकी बागवानी के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. किकास दास के अनुसार, फिलहाल लौंगन शोध के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में लगाया गया है। इसके जर्म प्लांट बंगाल के 24 परगना से मंगाए गए थे, अब किसानों को लौंगन का पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
लौंगन का फल अगस्त में होता है तैयार
दरअसल, लौंगन के पेड़ में अप्रैल में फूल लगते हैं और जुलाई के अंत में फल पककर तैयार हो जाता है। अगस्त के मध्य तक यह खत्म भी हो जाता है। चूंकि लौंगन लीची जैसा ही होता है, इसलिए कह सकते हैं कि यह लीची कुल का ही फल है, जो खाने में मीठा होता है। लीची की तरह इसके पत्ते भी होते हैं। पेड़ भी वैसा ही होता है। बस इसका फल लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कीड़े नहीं लगते, जैसा कि लीची के फल में लगते हैं। इस लिहाज से यह लीची से ज्यादा अच्छा है।
लौंगन में पाये जाते हैं कई औषधीय गुण
केंद्र के विज्ञानियों की मानें तो इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर (Anti Cancer) तत्व पाए जाते हैं। ये सारे तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन, विटामिन-के, रेटिनाल, प्रोटीन, फाइबर, एस्कार्बिक एसिड की मात्रा होती है। ये सारे तत्व शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरा कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
कैसे करें लौगन की खेती
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि जो भी किसान लौंगन की खेती करना चाहते हैं, उन्हें लीची की तरह ही इसके लिए भी गड्ढे करने होते हैं। मई-जून में गड्ढे को तैयार किया जाता है और जुलाई में इसकी बागवानी होती है। इसके लिए आपको पौधे बिहार के मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केंद्र में मिल जाएंगे। एक साल पुराने पौधे को लेकर किसान इसकी खेती शुरू कर सकते हैं।
लौंगन फल के फायदे (Longan Fruit benefits)