पपीते से लाखों कमा रहे यादवपुर के जितेन्द्र, किसानों को दे रहे प्रेरणा और सीख

15 Feb 2024 12:16:54

नई दिल्ली। आज के बदलते समय में ज्यादातर किसान नई तकनीक के माध्यम से खेती करने लगे हैं। उनका कहना है कि अब परंपरागत खेती से होनेवाला मुनाफा काफी घटने लगा है। लेकिन बिहार के भोजपुर जिले के यादवपुर के किसान जितेंद्र सिंह ने इस बात को झुठला दिया है। उन्होंने परंपरागत तरीके की खेती से लाखों रुपए कमाकर मिसाल कायम की है। बता दें कि जितेंद्र सिंह करीब पाँच एकड़ में पपीता की खेती करते हैं। वे अपनी सफलता का उदाहरण देकर अन्य किसानों को भी फलों की बागवानी करने की सलाह भी दे रहे हैं।

पपीता एक ऐसा फल है जिसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। किसानों को उत्पादन के बाद आसानी से बाजार उपलब्ध हो जाता है। पपीता की खेती के लिए गर्म जलवायु की जरूरत होती है। बता दें, इसके लिए 10 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर माना जाता है। पौधे के विकास के लिए दोमट या बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है।

2 से 3 लाख रुपए लागत और 12 से 13 लाख मुनाफा

दरअसल, भोजपुर बिहिया प्रखंड के यादवपुर गांव निवासी किसान जितेंद्र सिंह बताते हैं कि पपीते की खेती करने में दो साल का समय लगता है। यानी पौधा लगाने के दो साल बाद पपीते का पेड़ फल  के लिए तैयार हो जाता है। पाँँच एकड़ में पपीते की खेती करने में दो लाख से तीन लाख की लागत आती है। एक एकड़ में लगभग 1,500 कुंटल पपीते का उत्पादन होता है। एक बार पौधा लगाने के बाद लगभग चार सीजन तक फल प्राप्त होता है। एक सीजन से 13 लाख रुपए कमा सकते हैं।

 

 

 

 

 

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