
नई दिल्ली। केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा लखनऊ ने खड़ाखर व चिरवा गांव में पौधरोपण अभियान चलाया। ब्रह्मानंद महाविद्यालय के उद्यान विभाग के सहयोग सेबागवानों को किसानों के बीच पौधों का वितरण किया गया। केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड को बेल, आंवला पैदावार का क्लस्टर बनाया जाएगा। बेल व आंवला की खेती से पोषण सुरक्षा के साथ आमदनी भी बढ़ेगी। महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित बिसेन ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना शुष्क बागवानी फल के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किया गया।
खड़ाखर व चिरवा गांव के अनुसूचित जाति के 50 किसानों को बेल, अमरूद, आंवला, नीबू के पौधे दिए। अभियान का उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों की बागवानी के माध्यम से आय बढ़ाना है। कुर्रा गांव के पूर्व प्रधान मानसिंह गांव में 50किसान अनुसूचित जाति से हैं जो आम की खेती करना चाहते हैं।
क्या है केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, जो लखनऊ के रहमान खेड़ा में स्थित है, एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है जो उपोष्णकटिबंधीय फलों पर शोध करता है। इसकी स्थापना 1972 में केंद्रीय आम अनुसंधान केंद्र के रूप में की गई थी और 1995 में इसका नाम बदलकर केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान कर दिया गया। संस्थान आम के अलावा अमरूद, जामुन और बेल जैसी कई अन्य फलों की किस्मों के विकास और संवर्धन के लिए भी काम करता है।