
नई दिल्ली। लीची की बहन के नाम मशहूर लोंगान की खेती खूब बाजार मांग और बढ़िया कीमत के चलते किसानों की पसंद बन रही है। लोंगान लीची की तरह दिखने वाला फल है। और इसे ड्रैगन आई के नाम से भी जाना है। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने खेती की सलाह दी है। वैज्ञानिकों ने इसके प्लांटेशन का समय और देखभाल करने तरीका भी बताया है।
ज्यादा तापमान में आसानी से उत्पादन
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यो में तराई और मैदानी क्षेत्रों में किसान लोंगान की खेती कर अधिक आमदनी कर सकते हैं। सैपिनदासी प्रजाति का लोंगान पौधा हूबहू लीची जैसा दिखता है।पंतनगर में चल रहे अखिल भारतीय किसान मेले में पहली बार इसे प्रदर्शनी और बिक्री के लिए रखा गया है। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि लीची के सीजन के बाद लोंगान की हार्वेस्टिंग होती है इसका उत्पादन 48 डिग्री सेल्सियस तापमान तक में आसानी से हो सकता है।
गमले में भी उगाया जा सकता है
लोंगान के पौधे को गमले में भी आसानी से उगाया जा सकता है। पंत कृषि विश्विद्यालय में अखिल भारतीय किसान मेले में पश्चिम बंगाल की नर्सरी ने इसे अपने स्टॉल में प्रदर्शनी और बिक्री के लिए रखा है। इसकी खास बात यह है कि इसे गमले में उगा कर दो साल में कमर्शियल प्रोडक्शन तैयार कर लाखों की मुनाफा कमाया जा सकता है।
ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार कर सकते हैं नर्सरी
लोंगान को नर्सरी में ग्राफ्टिंग तकनीक से पौधे तैयार किए जा रहे हैं। सैपिनदासी कुल में ही लीची और रामभूटान पौधे भी आते हैं, जिससे लीची को लोंगान की बहन और रामभूटान पौधे को भाई कहा जाता है। लोंगान फल के अंदर गोल गुठली मौजूद होती है, जो फल काटने पर ड्रैगन की आंख जैसी दिखती है।