
नई दिल्ली। पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ने लगी हैं। शनिवार को रिकॉर्ड 33 नए मामले सामने आए, जो कि इस खरीफ सीजन की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। कुल मिलाकर अब तक राज्य में 241 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। आपको बता दें कि पराली जलाने की मुख्य वजह धान की कटाई में देरी मानी जा रही है। कटाई के बाद किसान खेतों में बची फसल के अवशेष यानी पराली को जलाते हैं ताकि अगली फसल के लिए खेत तैयार किया जा सके। हालांकि यह तरीका पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक होता है।
दिल्ली की हवा बहुत खराब
हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलने की घटनाएं दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ाने का बड़ा कारण बनती हैं। सर्दियों में हवा की गति कम होने से यह प्रदूषण कई दिन तक बना रहता है।
सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर
शनिवार को मंडी गोबिंदगढ़ की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित पाई गई, जहां AQI 231 रहा, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।
अन्य शहरों का AQI का हाल
पटियाला- 101
जालंधर- 148
लुधियाना- 116
सबसे ज्यादा पराली जलाने वाले जिले
शनिवार को सामने आए 33 मामलों में से 23 मामले सिर्फ तरनतारण जिले से थे। अब तक तरनतारण में 88 पराली जलाने की घटनाएं शामिल है। इसके अलावा अमृतसर जिले में भी 80 घटनाएं दर्ज की गई है। इन दोनों जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं।
सरकार की सख्ती और जुर्माना
पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। 104 मामलों में ₹5.15 लाख का जुर्माना किया गया जिसमें से ₹3.65 लाख वसूले जा चुके हैं। वहीं 119 एफआईआर दर्ज किए गए है,जिसमें सबसे ज्यादा 49 तरनतारण और 36 अमृतसर में पराली जलाने की घटनाएं शामिल है। 81 किसानों के ज़मीन रिकॉर्ड में रखी गई है। रेड एंट्री जिससे वे लोन, जमीन की बिक्री या बंदूक लाइसेंस नहीं ले सकते।