
नई दिल्ली। अगर आप तगड़ी कमाई का सपना देख रहे हैं और चाहते हैं कि एक बार मेहनत करने के बाद सालों तक फायदा मिलता रहे, तो चंदन की खेती आपके लिए सुनहरा मौका साबित हो सकती है। आज के समय में लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि किसान अब गेहूं-धान की जगह “पैसे के पेड़” यानी चंदन की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।कोई बागवान अपने खेत की मेड़ या खाली पड़ी जमीन पर चंदन के पौधे लगा दे, तो कुछ ही सालों में यह खेती सोने का सौदा साबित हो सकती है। वे कहते हैं कि हमने कई किसानों को करीब आठ साल पहले चंदन के पौधे लगाते देखा था, और आज उन पेड़ों की कीमत लाखों में पहुंच चुकी है।
विदेशों में भी चंदन की लकड़ी की भारी मांग
भारत ही नहीं, विदेशों में भी चंदन की लकड़ी की भारी मांग है।बाजार में इसकी एक किलो लकड़ी की कीमत ₹10,000 तक पहुंच जाती है, जबकि इसका तेल इससे भी कई गुना महंगा बिकता है। एक पेड़ औसतन 10–15 साल में तैयार होता है और तब तक उसकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है। इसकी खासियत यह है कि इसे बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। एक बार पौधा लगाने के बाद यह खुद को मौसम के मुताबिक ढाल लेता है। इसलिए इसे किसान “पैसों का पेड़” कहते हैं. फर्नीचर, इत्र, दवा और धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल होने के कारण चंदन की कीमत लगातार आसमान छू रही है. यह पेड़ जितना पुराना होता है, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाती है
सूखी और थोड़ी ऊंची जमीन की जरूरत
चंदन की खेती के लिए सूखी और थोड़ी ऊंची जमीन सबसे सही रहती है। रोपाई जून-जुलाई के महीने में की जाती है। चंदन एक परजीवी पौधा है यानी यह अपने पास के पौधों से पोषण लेता है। इसलिए इसे अर्जुन, बेर या मूंगा जैसे पौधों के साथ लगाना फायदेमंद रहता है। इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है और दोनों पौधे तेजी से बढ़ते हैं।