
नई दिल्ली। पराली की घटनाओं ने पंजाब में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। राज्य में सोमवार यानी 27 अक्टूबर को पराली जलाने की 147 नई घटनाएं दर्ज की गईं। यह इस सीजन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है जब एक दिन में इतनी पराली जलाई गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से अब तक पराली जलाने की कुल घटनाओं की संख्या बढ़कर 890 हो गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, तरनतारन और अमृतसर जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं।
पठानकोट में एक भी नहीं
आंकड़ों के अनुसार, 20 अक्टूबर को पराली जलाने की घटनाएं 353 थीं, जो अब बढ़कर 890 हो गई हैं, यानी सिर्फ कुछ दिनों में 537 मामलों की वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा मामले तरनतारन जिले से आए हैं. यहां पर पराली के 249 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद 169 अमृतसर में, 87 फिरोजपुर में , 79 संगरूर में, 46 पटियाला में, 41 गुरदासपुर, 38 बठिंडा में और 35 मामले कपूरथला में दर्ज किए गए हैं। वहीं, पठानकोट और रूपनगर जिलों से अब तक पराली जलाने की कोई घटना रिपोर्ट नहीं हुई है।
क्यों बढ़तीं पराली की घटनाएं
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर के महीनों में धान की फसल कटाई के बाद बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। धान की कटाई के बाद रबी फसल, खासतौर पर गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है। इसलिए कई किसान जल्दी खेत खाली करने के लिए फसल के अवशेषों को जला देते हैं।
सजा का भी है प्रावधान
इसके अलावा, पराली जलाने की घटनाओं के संबंध में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवहेलना) के तहत कुल 302 FIR दर्ज की गई हैं। राज्य प्रशासन ने उन किसानों की जमीन रिकॉर्ड्स में 337 'रेड एंट्री' भी की हैं, जिन्होंने फसल अवशेष जलाए हैं।