
नई दिल्ली। सरकार की 2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना योजना से कश्मीर के सेब किसानो के हालात धीरे-धीरे बदल रही है। ऐसे इस योजना का उद्देश्य भारत की फूड प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना है। यानी खेतों को खुदरा बाजारों से कोल्ड स्टोरेज, संरक्षित भंडारण और वैल्यू एडिशन की श्रृंखला के माध्यम से जोड़ना है। हालांकि, अब किसानों की उपज की बर्बादी पहले से काफी कम हो गई है।
अब तक 16 कोल्ड स्टोरेज को मंजूरी
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब तक 16 कोल्ड स्टोरेज को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल क्षमता लगभग 2 लाख टन सालाना है। हालांकि अकेले कोल्ड स्टोरेज को सीधे फंड नहीं मिलता, लेकिन वे इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन प्रोजेक्ट्स का हिस्सा होते हैं। शोपियां के किसान तारीक अहमद का कहना है कि पहले हमें फसल कटते ही सस्ते दामों पर सेब बेचने पड़ते थे। अब बेहतर कोल्ड स्टोरेज और कंट्रोल्ड एटमॉस्फेयर सुविधाओं की वजह से हम स्टॉक रोक सकते हैं और बाजार सुधरने पर अच्छे दाम पा सकते हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार सेब की खेती
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार सेब की खेती है, जो लगभग 30 लाख लोगों को आजीविका देती है। पहले आधुनिक भंडारण और परिवहन की कमी से 20- 30 फीसदी सेब फसल के बाद खराब हो जाते थे, लेकिन PMKSY और CEFPPC जैसी योजनाओं से ये नुकसान काफी घटे हैं। NABCONS की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PMKSY के इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन घटक ने फलों, सब्जियों, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र में बर्बादी को काफी कम किया है। इस योजना से किसानों की आमदनी बढ़ी है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
30 फीसदी तक ज्यादा मुनाफा
कश्मीर घाटी के पुलवामा, शोपियां और बारामूला जैसे फलों की खेती वाले जिलों में पिछले कुछ सालों में कई इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। लस्सीपोरा में स्थित एक कंट्रोल्ड एटमॉस्फेयर स्टोरेज यूनिट के एक स्थानीय उद्यमी ने बताया कि अब भंडारण की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब किसान समझने लगे हैं कि सही तरीके से स्टोरेज करने से बेहतर दाम मिलते हैं।