दिल्ली में बनेंगे 17 नए जंगल, 195 एकड़ जमीन चिन्हित,जानिए क्या है नमो वन योजना

09 Oct 2025 11:49:32




नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने 15 सिटी फॉरेस्ट क्षेत्र विकसित करने का फैसला किया है। नमो वन के नाम से विकसित होने वाले इस सीटी फॉरेस्ट के लिए दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में चिन्हित करने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार का कुल 177 एकड़ के आसपास क्षेत्र में इसे विकसित करने की योजना है। अधिकारियों के अनुसार अगर सबकुछ ठीक रहा तो अक्टूबर में ही इसपर काम शुरु कर दिया जाएगा।   

यह प्रदूषण को कम करने का प्रकृतिक तरीका

दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए यह प्लान एक प्राकृतिक तरीका है कि हम पेड़ पौधों की संख्या को बढ़ाएं। इसके लिए छोटे-छोटे नए क्षेत्र को सिटी फॉरेस्ट के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि हमने 15 जगहों को चिन्हित कर लिया है। नरेला, रोहिणी के अलग-अलग सेक्ट, बरवाला, के अलावा दक्षिणी दिल्ली में सतबरी व मैदानगढ़ी में भी नमो वन विकसित किया जाएगा।

नमो वन के फायदे

सिटी फॉरेस्ट के तहत हरित क्षेत्र बनता है तो उससे आस-पास हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। हरित क्षेत्र होने से वन्य जीवों को भी एक आसरा मिलता है। आस-पास पक्षियों के लिए जगह बनती है। यह शहरी क्षेत्र में विकसित होता है आस-पास आवासीय इलाकों के लोगों के लिए यहां व्यायाम के अलाव एक मनोरंजन का अवसर भी प्रदान करता है।

अलीपुर बनेगा सबसे बड़ा नमो वन

अधिकारियों के अनुसार सबसे बड़ा नमो वन अलीपुर में 28 एकड़ का बनाया जाएगा। इसके अलावा बसे छोटा नरेला क्षेत्र में पड़ने वाले ममूरपुर में 1.18 एकड़ का बनेगा। सबसे अधिक क्षेत्र रोहिणी क्षेत्र में चिन्हित किया गया है जो कि सेक्टर-30, 31, 32 में स्थित है। अधिकारियों ने कहा कि नमो वन विकसित करने के लिए निविदा जारी की जा चुकी है। पूरे दिल्ली में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए करीब 75 करोड़ रुपये के पेड़ पौधे लगाने की भी योजना है। सिटी फॉरेस्ट क्या होता है

क्या होता हैं सिटी फॉरेस्ट

सिटी फॉरेस्ट एक प्रकार का शहरी वन है जो कि इमारतों के आस-पास एक हरे-भरे पार्क या हरित क्षेत्र के रुप में विकसित किया जाता है। यह जंगलों की तरह बहुत घने नहीं होते है। यहां पर हरित क्षेत्र के अलावा वाकिंग ट्रैक, साइकलिंग ट्रैक, झीलें और अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध होतेसकते है। इसकी कोई निश्चित आकार नहीं होता है। शहर के बीच उपलब्ध जगह के लिहाज से इसे विकसित किया जाता है। इसका मुख्य मकसद हरित क्षेत्र को विकसित करना है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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