
नई दिल्ली। फिनलैंड में एक अध्यन के मुताबित पता चला है कि बागवानी करने वाले बच्चों प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। यह अध्यन बच्चों वाली एक स्कूल में किया गया है। स्कूल के कर्मचारियों ने खेल के मैदानों की जगह मिट्टी से भरी बगीचे की क्यारियां बना दी थीं। सभी बच्चे इन्हीं क्यारियों में खेलते थे और बागवानी करते थे। 28 दिनों के अंदर ही बच्चों में T कोशिकाओं और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों का स्तर बढ़ गया। यह मजबूत प्रतिरक्षा के संकेत थे, जिससे साफ हो जाता है कि बागवानी करने से बच्चे स्वस्थ हो रहे थे।
मिट्टी में हाथ डालने से बीमारियों से बचते हैं बच्चे
इस अध्ययन के मुताबिक, जैविक तरीके से बागवानी करने वाले बच्चे सर्दी और जुखाम जैसी बीमारियों की चपेट में कम आते हैं। कृत्रिम कीटनाशकों के बिना बागवानी करने से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा स्वस्थ और संतुलित बनी रहती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों की त्वचा और नाखूनों में मिट्टी के सूक्ष्म जीवों के भरने से उनका शरीर बीमारियों से लड़ने में और सक्षम हो पाता है। इसीलिए, बागवानी करते समय उन्हें दस्ताने नहीं पहनाने चाहिए।
बागवानी करने से कैसे मजबूत होती है प्रतिरक्षा?
हम सभी के बच्चे कभी न कभी मिट्टी से सने हाथ-पैर लेकर घर आते हैं। ऐसा करना न केवल उन्हें खुश कर देता है, बल्कि उन्हें स्वस्थ भी बनाए रख सकता है। जैविक मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए कम जोखिम वाले अभ्यास चक्र की तरह काम करते हैं। जब बच्चे नियमित रूप से मिट्टी के संपर्क में आते हैं तो उनका शरीर पराग को रोगाणुओं से अलग करने में बेहतर हो जाता है।